Book Title: Bhagvana Rushabhdev Diwakar Chitrakatha 002
Author(s): Subhadramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 37
________________ जैन साहित्य के इतिहास में एक नया शुभारम्भ सचित्र आगम हिन्दी एवं अंग्रेजी अनुवाद के साथ जैन संस्कृति का मूल आधार है आगम। आगमों के कठिन विषय को सुरम्य रंगीन चित्रों के द्वारा मनोरंजक और सुबोध शैली में मूल प्राकृत पाठ, सरल हिन्दी एवं अंग्रेजी अनुवाद के साथ प्रस्तुत करने का ऐतिहासिक प्रयत्न। ___ अब तकप्रकाशित आगम 6 सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र मूल्य 500.00 सचित्र देशवैकालिक सूत्र मूल्य 500.00 (भगवान महावीर की अन्तिम वाणी अत्यन्त शिक्षाप्रद, जैन श्रमण की सरल आचार संहिता : जीवन में पद-पद पर ज्ञानवर्द्धक जीवन सन्देश।) काम आने वाले विवेकयुक्त संयत व्यवहार, भोजन, भाषा, विनय आदि की मार्गदर्शक सूचनाएँ। आचार विधि को रंगीन सचित्र अन्तकृदशासूत्र मूल्य 500.00 चित्रों के माध्यम से आकर्षक और सुबोध बनाया गया है। अष्टम अंग। 90 मोक्षगामी आत्माओं का तप-साधना पूर्ण रोचक जीवन वृत्तान्त। मूल्य 500.00 ज्ञान के विविध स्वरूपों का अनेक युक्ति एवं दृष्टान्तों के सचित्र ज्ञाता धर्मकथांगसूत्र (भाग 1,2) साथ रोचक वर्णन। चित्रों द्वारा ज्ञान के सूक्ष्म स्वरूपों को ___ प्रत्येक का मूल्य 500.00 जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया है। भगवान महावीर द्वारा कथित बोधप्रद दृष्टान्त एवं रूपकों आदि | सचित्र आचारांग सूत्र (भाग 1, 2) को सुरम्य चित्रों द्वारा सरल सुबोध शैली में प्रस्तुत किया गया है। प्रत्येक का मूल्य 500.00 सचित्र कल्पसूत्र मल्य 500.00 जैन धर्म के आचार विचार का आधारभूत शास्त्र। जिसमें पर्युषण पर्व में पठनीय 24 तीर्थंकरों का जीवन-चरित्र व आहसा, सयम, तप, अप्रमाद आदि विषयो पर बहुत ही स्थविरावली आदि का वर्णन। रंगीन चित्रमय। सुन्दर विवेचन है। भगवान महावीर की साधना का भी रोचक इतिहास इसमें है। सचिव आचारांगसूत्र ACHARANGA SUTRA BAUSTRATED प्रकाशित १ सचित्र आगमों के सैट का मूल्य 4,500/प्राप्ति स्थान : श्री दिवाकरप्रकाशन ए-7, अवागढ़ हाउस, एम. जी. रोड, आगरा-282002. फोन : (0562) 351165 सचित्र राध्ययन संपादक श्री अमर गुनि सचित्र दशवैकालिक सूत्र श्री अमर मुनि सचित्र ज्ञाताधमकथाङसत्रा अमरन Jnātā Dharma Kathānga Sūtra ILLUSTRATED DASAVAIKALIKA SUTRA SHRI AMAR MUNE आजमरमुनि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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