Book Title: Bhagvana Rushabhdev Diwakar Chitrakatha 002
Author(s): Subhadramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 22
________________ भगवान ऋषभदेव इस विजय महोत्सव में बाहुबली और उनके९८ छोटे भाई उपस्थित नहीं हये, भरत का संदेश सुनकर सब तो भरत ने उनके पास दूत भेजा। भाईयों ने गुप्त मंत्रणा की। आप सब या तो चक्रवर्ती की आज्ञा स्वीकार करें, अन्यथा युद्ध के लिये तैयार हो जायें।" हमें युद्ध करना होगा। हिम पिता श्री के पास। जाकर मार्गदर्शन लेंगे। सब भाई भगवान ऋषभदेव के प ऋषभ देव बोले। इसके समाधान के लिये मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता "हे परम पिता प्रभु ! आप द्वारा प्रदत्त राज्य पर भरत ललचा.रहा है। बड़े भाई के साथ युद्ध करना भी उचित नहीं लगता। क्या क्षत्रिय धर्म के नाते हम युद्ध करें? आप हमारा मार्गदर्शन करें।" - TWIT प्रभु ऋषभदेव कथा सुनाते हैं |एक बार भयंकर गमी के कारण उसे तीव्र प्यास लगी। "एक था मुर्ख लकड़हारा। वह प्रतिदिन जंगल में पानी की खोज में वह इधर-उधर भटका, परन्तु कहीं भी लकड़ी काटकर अपना गुजारा करता था। पानी नहीं मिला।" Jain Education International For Private 2 ersonal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38