Book Title: Bhagvana Rushabhdev Diwakar Chitrakatha 002
Author(s): Subhadramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 18
________________ भगवान ऋषभदेव भरत ने माता मरूदेवा को शुभ समाचार | माता मलदेवा के साथ भरत भगवान ऋषभदेव के दर्शनों के लिये निकल पड़े। सुनाया। जब उनकी सवारी समवसरण के द्वार पर पहुंच गई तो भरत, महदेवा को ऋषभदेव की दिव्य विभूतियों का वर्णन सुनाने लगे। पितामही! देखो न ! स्वामी ऋषभदेव का आध्यात्मिक ऐश्वर्य कितना अद्भुत है।। अरे! मैं तो व्यर्थ ही चिंता करती थी। मेरे ऋषभदेव की तो महिमा ही न्यारी है। Jain Education International 16 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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