Book Title: Bhagvana Rushabhdev Diwakar Chitrakatha 002
Author(s): Subhadramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ भगवान ऋषभदेव भगवान को मौन देखकर दोनों भाई वहीं भगवान को प्रसन्न करने के लिये एकचित्त होकर उनकी भक्ति करने लगे। एक दिन नागकुमारों के राजा धरणेन्द्र प्रभु के दर्शन को आये। दोनों कुमारों की अटूट भक्ति देखकर उन्होंने पूछा। हम प्रभु के पास राज्य लेने आये हैं। हमारी भक्ति हमारे मनोरथों को अवश्य पूर्ण करेगी। आप लोग कौन हैं? और आपका क्या मनोरथ है। Tod धरणेन्द्र यह सनकर बहत प्रसन्न हए। नमि-विननि को अपने साथ वैताढय पर्वत पर ले गया जहा उन्होंने धरणेन्द्र की सहायता से नगर बसाये और सुख पूर्वक राज्य करने लगे। Jain Education International For Private & Zonal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38