Book Title: Bhagvana Rushabhdev Diwakar Chitrakatha 002
Author(s): Subhadramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ भगवान ऋषभदेव एक बार महाराज ऋषभदेव राज सभा में बैठे-नीलांजना नाम की एक अप्सरा का नृत्य देख रहे थे, सभी दर्शक मंत्र-मुग्ध बैठे थे। अचानक नीलांजना मूच्छित होकर गिर पड़ी। Mo Gooder महाराज, इसके तो प्राण पखेरू उड़ चुके हैं !! मैं यह ऐश्वर्य त्यागकर साधना के महापथ पर आगे बढूँगा और मृत्यु पर विजय प्राप्त करूँगा।" Jain Education International उन्होंने तुरन्त ऐश्वर्य त्यागकर मुनि जीवन तभी नव लोकांतिक देव ऋषभदेव के सामने प्रकट होकर बोले'ग्रहण करने का निश्चय किया। ओह !! कितना नश्वर है यह मानव-जीवन ! कितना क्षणिक है यह देह । NPURANA D 8 For Private & Personal Use Only LOOOX CO "हे महामानव ! आपका निश्चय अति सुन्दर है। आप, मानव को त्याग और संयम का मार्ग दिखलाइये।" arat JAV www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38