Book Title: Bbhakti Karttavya Author(s): Pratap J Tolia Publisher: Shrimad Rajchandra Ashram View full book textPage 9
________________ विकल्प, स्वच्छंदता, अतिपरिणामीपन, इत्यादि कारण बारबार जीव को उस मार्ग पर पतन के हेतु बनते हैं या ऊर्ध्वभूमिका प्राप्त नहीं होने देते । __"क्रियामार्ग में असद्अभिमान, व्यवहाराग्रह सिद्धिमोह, पूजासत्कारादि योग और दैहिकक्रिया में आत्मनिष्ठादि दोषों का सम्भव रहा है । . ___"इन्हीं कारणों से किसी एक महात्मा को छोड़ते हुए अनेक विचारवान जीवों ने भक्तिमार्ग का आश्रय लिया है और आज्ञाश्रितपन या परमपुरुष सद्गुरु के प्रति सर्वार्षण स्वाधीनपन शिरसावंद्य देखा है और वैसे ही बरते हैं तथापि वैसा योग प्राप्त होना चाहिए, वरन् जिसका एक समय चिंतामणि जैसा है वैसा मनुष्यदेह उल्टे परिभ्रमणवृद्धि का हेतु बन जायेगा।" . "उस आत्मज्ञान को प्रायः दुर्गम्य देखकर निष्कारण करुणाशील ऐसे उन सत्पुरुषों ने भक्तिमार्ग प्रकाशित किया है जो सभी अशरण को निश्चल शरणरूप है और सुगम है।" पराभक्ति - "परमात्मा और आत्मा का एक रूप हो जाना (!) वह पराभक्ति की अंतिम सीमा है। एक वही लयPage Navigation
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