Book Title: Bangal Ka Aadi Dharm Author(s): Prabodhchandra Sen, Hiralal Duggad Publisher: Vallabhsuri Smarak Nidhi View full book textPage 6
________________ (ग) लिखा है कि बंगालदेश में सर्वत्र जैन मन्दिरों के ध्वंसावशेष तथा जैन तीर्थंकरों, की प्राचीन मूर्तियां बिखरी पड़ी हैं। मात्र इतना ही नहीं परन्तु अनेक जैनमन्दिर तथा जैनतीर्थंकरों, यक्ष-यक्षणियों आदि की मूर्तियां अखंडित रूप में भी अनेक स्थानों पर बिखरी पड़ी हैं। अभी तक इतिहासज्ञों ने इस सब प्राचीन सामग्री की उपेक्षा की है। इस की शोधखोज से तथा इन पर अंकित लेखों को पढ़ने और अभ्यास करने से जैनधर्म के प्राचीन इतिहास पर सुन्दर प्रकाश पड़ेगा। नम्र निवेदन आज भारतीय सरकार तथा इतिहासज्ञ विद्वानों ने बौद्ध और ब्राह्मण, वैदिक और पौराणिक इतिहास की खोज के लिये भगीरथ परिश्रम उठाया है तथा उनके प्राचीन स्मारकों के संरक्षण के लिये मुक्त हाथों से धनराशी भी व्यय की है। जिस के परिणाम स्वरूप आज बौद्ध-वैदिक-पौराणिक संप्रदायों का विस्तृत इतिहास विद्वानों के सामने उपलब्ध है। वर्तमान भारत सरकार ने बौद्धधर्म को सार्वजनिक रूप दे कर बौद्धधर्म की पच्चीससौ वर्षीय जयंति बड़े समारोह के साथ मनाई है और “सारनाथ का बौद्ध-गया मन्दिर" (जो कि सरकार के हस्तांतर्गत था) बौद्धों को सौंप कर उदारता का परिचय दिया है। तथा “महादेव-सारनाथ" के प्राचीन मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया है। इन दोनों कार्यों में सरकार ने अपने निजी कोष से करोड़ों रुपया खर्च करने की उदारता भी दिखलाई है। परन्तु खेद का विषय है कि जैनधर्म जो भारत का एक प्राचीन धर्म है उसके प्राचीन प्रमाणिक इतिहास की खोज की ओर इतिहासज्ञ विद्वानों ने तथा भारत-सरकार ने जैसा चाहिये वैसा ध्यान नहीं दिया । अतः इतिहासज्ञ विद्वानों को तथा भारत सरकार को चाहिये कि वे इस प्राचीनधर्म के इतिहास की खोज के लिये पूरी उदारताPage Navigation
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