Book Title: Avashyakaniryuktidipika Part_3
Author(s): Manekyashekharsuri
Publisher: Vijaydansuri Jain Granthmala Surat

View full book text
Previous | Next

Page 3
________________ अ% - - MIछे. माटे सुन्न वाचकोए एटलो ख्याल राखवो के ज्या ज्या सामायिक, पौषध, मुहपत्ति आदि स्थळोमा तपागच्छनी मान्यता का विरुद्ध देखाय ते अञ्चलगच्छनी मान्यता मुजब जणावेल छे अने समज न पडे त्यांना स्थळो माटे टीका, चूर्णि तथा प्रवचनपरीक्षादि ५ ग्रन्थो जोई लेवा. । जैन उपाश्रय, लींच लि. संशोधक वि. सं. २००५, आसो शुद ५. ) मानविजय. CA4 % % A %AXI प्रकाशकीय निवेदन. जे श्रीआवश्यकनियुक्ति दीपिका पन्थनो १ लो तथा २ जो भाग सदरहु ग्रन्थमालाना ग्रन्थांक नं. १६ तथा नं. २९ तरीके बहार पाडवामां आवेला छे तेना त्रीजा भागर्नु मुद्रण केटलाक अनिवार्य संजोगोने लीघे बंध राखवामां आव्यु हतुं, परंतु अधूरूं रहेल कार्य कोई रीते पूर्ण करQ जोईए ते हेतुथी तथा बीजो भाग क्यारे बहार पडशे एम बन्ने भागना ग्राहको तरफथी वारंवार -%E045 For Private & Personal Use Only |www.janelibrary.org Jain Education Inter

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 106