Book Title: Aspect of Jainology Part 1 Lala Harjas Rai
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 84
________________ (ख) 'जे' प्रत में प्रत्येक गाथा का वही प्रारंभिक शब्द लोप (ग) सघोष - अघोष ७ १०% १२ १८% 0% ९ ५३% ७ ८३% २१ २५% इस विश्लेषण से स्पष्ट है कि स्वोपज्ञवृत्ति की तुलना में 'जे' प्रत की गाथाओं के प्रारम्भिक प्रथम शब्दों में ध्वनिगत परिवर्तन बहुत ही कम मात्रा में आगे बढ़ा है और यह अन्तर लगभग ५३% है। परन्तु 'जे' प्रत की १ से १०० गाथाओं के सभी शब्दों का विश्लेषण करने पर उनमें यह लोप ११३% है और यथावत् स्थिति ७०% है ( आगे देखिए ) जो कम अन्तर रखता है । स्वोपज्ञवृत्ति के साथ बहुत १ से १०० गाथाओं के सभी शब्दों का विश्लेषण लोप सघोष - अघोष जेत हे को २२ २१ २२ २२ क ग च ज त द प य व योग ख घ थ ध म० अल्प प्राण म० महा प्राण संयोग जे त हे को ३४ ३५ ३६ ३६ ० o o ० ५ ५ ५ ५ ३ ३ ३ ३ १३ १५१८५ १८५ ६ २९ ६२ ६१ o ० १ १ १७२० ३८ ४० ६ ६ ६ ६ ८४ ११३३३६३३७ स्पर्श-लोप जे त हे को १ १ १ १ ० २ ० Jain Education International ० २ ३ ४ प्राचीन आगम ग्रन्थों का सम्पादन ० ३ ३० ३० ५ ० ० o ० o ० ० o ० २८ २७ ० ० ० O o ० १ १ ३३ ८ ० o ५० ५० ४९४९ ० ० o o ० O o o O १०६ ८० ७१ ७१ सघोष - अघोष जे त हे को ० O ० ० ० ० ० ० ० ० o O जे o १ ० यथावत् जे त हे को ४ ४ २ २ २८ २८ २८ २८ O १८४ १८२ १३ १३ ३९ ४१ १६ १७ ९ ९ ९ ९ ७९ ७६ ५८ ५६ १४७ १४७ १४७ १४७ ४९० ४८७ २७३ २७२ यथावत् त हे को For Private & Personal Use Only ० o १ ० ० ० ० ० o ० १ o ३६ ३५ ३४ ० १ o यथावत् ४८ ७२% ८ ४७% ५६ ६६३% ३३ योग ५० २८ ५ ३ १९८ ७८ ५९ ९६ १५६ ६८० ६७ योग १ १ ३० ३८ www.jainelibrary.org

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