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अरिहंत की आवश्यकता-वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में ४३
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Aura सामान्य व्यक्तियों के पीछे उनकी भाव-धाराओं का बना हुआ वृत्ताकार मंडल है। यह प्रभावित भामंडल है अर्थात् इसमें भावों की प्रतिक्रियास्वरूप संक्रमण होता रहता है। व्यक्ति के अपने राग-द्वेष के अनुसार इसमें रहस्यमय परिवर्तन होते रहते हैं। जैसे कि-व्यक्ति के काम, क्रोध, अहं का प्रभाव होने पर वे दूसरों पर प्रकट होते हैं और दूसरों के ऐसे दूषणों का प्रभाव उस पर होता है। वह स्वयं भी इसका संयोजक बन जाता है। प्रतिक्रिया के द्वारा परिवर्तित होना Aura का अपना धर्म है। Aura उत्तरावर्त वृत्ताकार मंडल है। ___आध्यात्मिक क्षेत्र में वृत्ति के परिवर्तन के लिए वृत्त परिवर्तन का सिद्धांत प्रस्तुत किया जाता है। अध्यात्म क्षेत्र की इस महान खोज के पूरे रहस्य को पाने में वैज्ञानिक अवश्य प्रतिस्पर्धा करते रहे; परंतु अभी तक उनकी खोज जारी है। अध्यात्म ने इस खोज के रहस्य को खोलते हुए यह दर्शाया कि काम-क्रोध की वृत्ति को वृत्त बदलकर बदला जा सकता है।
व्यक्ति में जब काम, क्रोध, अहं की भावना उत्पन्न या प्रकट होती है तब उस व्यक्ति की भावधारा के आभावलय अधिक से अधिक उत्तरावर्त होते जाते हैं और जिस व्यक्ति के काम, क्रोध का सर्वथा नाश हो जाता है; उसकी भावधारा का प्रभावलय दक्षिणावर्त हो जाता है। यही कारण है कि तीर्थंकरों की नाभि एवं बाल भी दक्षिणावर्त होते हैं।