Book Title: Apbhramsa Ek Parichaya
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 11
________________ 'अपभ्रंश : एक परिचय' पुस्तक अपभ्रंश का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत करती है। इसका मुख्य उद्देश्य अपभ्रंश की बिखरी हुई जानकारियों, सूचनाओं को एक जगह समेटना है जिससे अपभ्रंश से हिन्दी तक की यात्रा स्पष्ट हो सके। इसमें तीन अध्याय हैं - 1. अपभ्रंश : उसके कवि और काव्य 2. परवर्ती अपभ्रंश 3. अपभ्रंश और हिन्दी। इन तीनों अध्यायों की सामग्री विद्वानों की विभिन्न पुस्तकों से संगृहीत है। इन पुस्तकों के नाम यथास्थान दे दिये गये हैं। अकादमी की शोध-पत्रिका 'अपभ्रंश-भारती' तथा 'जैनविद्या' शोध-पत्रिका के अपभ्रंश-विशेषांकों का भरपूर उपयोग किया गया है। इनकी सामग्री को पुस्तक के रूप में लाने का संभवतः यह प्रथम प्रयास है। मैं आशा करता हूँ कि इस पुस्तक से सामान्यजन, विद्यार्थी और विद्वान् - सभी लाभान्वित हो सकेंगे। इस पुस्तक में अपभ्रंश की कुछ प्रकाशित रचनाओं का ही उपयोग किया गया है। इन रचनाओं के अतिरिक्त जैन ग्रन्थ भण्डारों में अपभ्रंश की अनेक पांडुलिपियाँ अभी अप्रकाशित हैं जिन्हें प्रकाशित कराना अपभ्रंश साहित्य अकादमी का एक प्रमुख उद्देश्य है। . मेरी धर्मपत्नी श्रीमती कमलादेवी सोगाणी ने इस पुस्तक को लिखने में जो सहयोग प्रदान किया, उसके लिए मैं आभार व्यक्त करता हूँ। पुस्तक के प्रकाशन की व्यवस्था के लिए 'जैनविद्या संस्थान समिति' का आभारी हूँ। अकादमी के कार्यकर्ता एवं जयपुर प्रिन्टर्स प्राइवेट लिमिटेड धन्यवादाह हैं। तीर्थंकर विमलनाथ निर्वाणदिवस डॉ. कमलचन्द सोगाणी आषाढ़ कृष्ण षष्ठी, संयोजक वीरनिर्वाण संवत् 2526 जैनविद्या संस्थान समिति दिनांक 23-6-2000 (x) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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