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1. हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योग, डॉ. नामवरसिंह, पृ. 27,
लोक भारती प्रकाशन, इलाहाबाद। 2. वही, पृ. 68 3. अपभ्रंश और अवहट्ट : एक अन्तर्यात्रा, डॉ. शम्भूनाथ पाण्डेय, पृ. 120,
चौखम्भा ओरियन्टालिया, वाराणसी। 4. वही, पृ. 142 5. आदिकालीन हिन्दी साहित्य, डॉ. शम्भूनाथ पाण्डेय, पृ. 204,
विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी। 6. वही, पृ. 40 7. हिन्दी साहित्य का इतिहास, सम्पादक, डॉ. नगेन्द्र, पृ. 23, 24, 25,
नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली। 8. अपभ्रंश और अवहट्टः एक अन्तर्यात्रा, डॉ. शम्भूनाथ पाण्डेय, पृ. 208,
चौखम्भा ओरियन्टालिया, वाराणसी। 9. वही, पृ. 150 10. वही, पृ. 189 11. वही, पृ. 193 12. वही, पृ. 196 13. हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योग, डॉ. नामवरसिंह, पृ. 75,
लोक भारती प्रकाशन, इलाहाबाद। 14. वही, पृ. 68 15. वही, पृ. 99, 100 16. भारतीय आर्यभाषाओं का इतिहास, श्री जगदीशप्रसाद कौशिक, पृ. 161,
अपोलो प्रकाशन, जयपुर। 17. अपभ्रंश और अवहट्ट : एक अन्तर्यात्रा, डॉ. शम्भूनाथ पाण्डेय, पृ. 5,
चौखम्भा ओरियन्टालिया, वाराणसी। 18. हिन्दी साहित्य : उद्भव और विकास, डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी, पृ. 25,
राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली। 19. अपभ्रंश और अवहट्ट : एक अन्तर्यात्रा, डॉ. शम्भूनाथ पाण्डेय, पृ. 9, 10,
चौखम्भा ओरियण्टालिया, वाराणसी।
परवर्ती अपभ्रंश
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