Book Title: Apbhramsa Ek Parichaya
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 51
________________ इस प्रकार अपभ्रंश भाषा ही हिन्दी और अन्य आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं के विकास के मूल में है। "जहाँ तक हिन्दी भाषा का प्रश्न है यह अपभ्रंश की साक्षात उत्तराधिकारिणी है। 17 अपभ्रंश भाषा और साहित्य की समस्त परम्पराएँ हिन्दी में सुरक्षित हैं । डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार शायद ही किसी प्रांतीय साहित्य में ये सारी की सारी विशेषताएँ इतनी मात्रा में सुरक्षित हों। डॉ. शंभूनाथ पाण्डेय लिखते हैं - "अपभ्रंश और हिन्दी का संबंध अत्यन्त गहरा और समृद्ध है। वे एक-दूसरे की पूरक हैं । हिन्दी को ठीक से समझने के लिए अपभ्रंश की जानकारी आवश्यक ही नहीं अनिवार्य है। हिन्दी ही नहीं, अन्य नव्य भारतीय आर्यभाषाओं की आधारशिला अपभ्रंश ही है। उसी की क्रोड़ से इन भाषाओं का विकास हुआ।19 40 अपभ्रंश : एक परिचय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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