Book Title: Apbhramsa Ek Parichaya
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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21. रिट्ठणेमिचरिउ, महाकवि स्वयंभू,
सम्पादक : डॉ. देवेन्द्रकुमार जैन, प्राक्कथन, पृ. 12, 1985,
भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली।। 22. अपभ्रंश रामायण पउमचरिउ के हनुमान, डॉ. श्रीरंजनसूरिदेव, पृ. 65,
जैनविद्या-अंक-1, स्वयंभू विशेषांक, जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी। 23. हिन्दी काव्यधारा, राहुल सांकृत्यायन, पृ. 50, 1945, किताब महल, इलाहाबाद। 24. महाकवि स्वयंभूदेव का व्यक्तित्व, डॉ. गजानन नरसिंह साठे, पृ. 9,
जैनविद्या, अंक-1, स्वयंभू विशेषांक, जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी। 25. रिट्ठणेमिचरिउ, महाकवि स्वयंभू, सम्पादक : डॉ. देवेन्द्रकुमार जैन, पृ. 13, 1985,
भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली। स्वयंभू में प्रयुक्त अलंकार, डॉ. योगेन्द्रनाथ शर्मा 'अरुण', पृ. 42, जैनविद्या, अंक
1, स्वयंभू विशेषांक, जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी। 27. अपभ्रंश और अवहट्ट : एक अन्तर्यात्रा, डॉ. शम्भूनाथ पाण्डेय, पृ. 53, 1979,
चौखम्भा ओरियन्टालिया, वाराणसी। 28. वही, पृ. 53 29. रिट्ठणेमिचरिउ, महाकवि स्वयंभू, सम्पादक : डॉ. देवेन्द्रकुमार जैन, प्रधान सम्पादकीयः
पं. कैलाशचन्द शास्त्री, पृ. 7, भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली। 30. स्वयंभू छन्द : एक विश्लेषण, डॉ. गदाधरसिंह, पृ. 71, अपभ्रंश भारती अंक 2,
अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर। 31. महाकवि स्वयंभूदेव का व्यक्तित्व, डॉ. गजानन नरसिंह साठे, पृ. 14,
जैनविद्या, अंक-1, स्वयंभू विशेषांक, जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी। 32. महाकवि पुष्पदंत : व्यक्तित्व और कर्तृत्व, डॉ. आदित्य प्रचण्डिया 'दीति' पृ. 13,
जैनविद्या, अंक-2, पुष्पदंत विशेषांक, खण्ड-1, जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी। 33. वही, पृ. 13 34. वही, पृ. 13 35. महाकवि पुष्पदंत और उनका काव्य, डॉ. योगेन्द्रनाथ शर्मा 'अरुण', पृ. 30,
जैनविद्या, अंक-2, पुष्पदंत विशेषांक, खण्ड-1 जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी। 36. महाकवि पुष्पदंत और उनकी रसाभिव्यक्ति, डॉ. प्रेमचन्द राँवका, पृ. 64,
जैनविद्या, अंक-3, पुष्पदंत विशेषांक खण्ड-2, जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी। 37. वही, पृ. 67 38. वही, पृ. 67 39. णायकुमारचरिउ में प्रतिपादित जीवनमूल्य, डॉ. कमलचन्द सोगानी, पृ. 19, __ जैनविद्या, अंक-3, पुष्पदंत विशेषांक खण्ड-2, जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी।
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अपभ्रंश : एक परिचय
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