Book Title: Anusandhan 2014 03 SrNo 63
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 141
________________ जान्युआरी - २०१४ १३५ १, सेर १, उपरांत पचखांण. २२. वांणीविहं केतां पगरखानी जोड वरस १ मध्ये नंग-२, उपरांत पचखांण. तेमां साटल पाटल थरइ जाए तथा कोइनी मांगी पेरवी पडे तथा जाए ने बीजो लेवो पडे तो आगार छे. २३. वाहनविहं केतां वाहननी जात तेनी विगत - तरती नंग - ५, फरती नंग - ५, चरती नंग - ५. २४. सयणविहं केतां सुता बेठानां आसन भोगववां पडे तो रोज १, नंग-२०, उपरांत ५० २५. सचेतविहं केतां सचेत द्रव्य भोगववां पडे तो रोज १, द्रव्य २०, उपरांत पचखांण छे. २६. द्रव्यविहं केतां द्रव्य सचेत अचेत भोगववो पडे तो रोज १, द्रव्य १०, उपरांत पचखांण छे. एणी रीते बोल २६नी मरजाद कीधी छे ते उपरांत उवभोग परीभोग निमित्ते भोगववाना पचखांण. जावजीवाए एगविहं तिविहेणं न करेमि मणसा, वयसा, कायसा कोटी ३ करीने पचखांण. • तेमां छ छीडीनो आगार - अजाण्यानो १ बलात्कारनो २ मान्या ठेकाणे होए तेने केणे ३ सरीरनी समाधी लेतां, कारण विशेषे आगार, दिश्याने कारणे आगार. १७. पन्नर करमादान मांहेथी जे बोलनो वेपार करवो पडे तो वरस १ मध्ये कोरी हजार ७. मोनो उपरांत पचखांण छे. कोरी व्याजु देवी पडे आगार. ८. आठ{ अनरथा दंडनुं वेरमj. चउविहे अणठा दंडे प्रमाणं पन्नते, तं जहा- तेनी विगत. १. अवज्झांण चिरयंते विगर कारणे आर्त-रुद्र ध्यान धरवो नही. २. पमाय चरियंते. प्रमांदे दही दूध तेल घ्रत एठना ठाम उघाडा राखवा नहीं. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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