Book Title: Anusandhan 2014 03 SrNo 63
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 161
________________ १५५ जान्युआरी - २०१४ श्रीनेमीश्वरजिनप्रासादप्रशस्ति तथा श्रीमण्डपीयसङ्घप्रशस्ति विषे मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय अनुसन्धानना ६२मा अङ्कमां श्रीमण्डपीयसङ्घप्रशस्ति मुनि श्रीसुयशचन्द्रसुजसचन्द्रविजयजी द्वारा सम्पादित थईने मुद्रित थई छे. प्रशस्तिनी सम्पादकीय टिप्पणोमां जेनो निर्देश थयो छे ते नेमीश्वरजिनप्रासादप्रशस्ति पैतिहासिक दृष्टिले उपरोक्त प्रशस्ति करतां पण वधु महत्त्वपूर्ण जणाय छे. सङ्ग्राम सोनी कारापित गिरनारस्थ श्रीनेमिनाथ-चैत्यनी आ प्रशस्ति मूळे तो शिला पर उत्कीर्ण हशे, परन्तु अत्यारे तो अनी हस्तप्रत पर उतारवामां आवेली नकल ज उपलब्ध थाय छे. मूळे आणसूरगच्छ-सूरतना भण्डारनी आ हस्तप्रत अत्यारे नेमिविज्ञानकस्तूरसूरि-ज्ञानमन्दिर-सूरतमां सचवाई छे. तेना आधारे आ प्रशस्तिनुं संशोधन-सम्पादन पं. श्रीलाभसागरगणिजे कर्यु छे अने तेनुं प्रकाशन आगमोद्धारकग्रन्थमाला-कपडवंज तरफथी सं. २०४०मां थयुं छे. प्रशस्तिना रचयिता, सङ्ग्राम सोनीना गुरु श्रीउदयवल्लभसूरिजीना' पट्टधर तेमज वृद्धतपागच्छीय श्रीरत्नसिंहसूरिजीना शिष्य भ. श्रीज्ञानसागरसूरिजी छे. नेमीश्वरजिनप्रासादप्रशस्तिना प्रारम्भे नेमिनाथ, रैवताचल, यादववंश, रा'मण्डलिक' व.ने वर्णवतां पद्यो छे. आ पद्यो तेमज प्रशस्तिगत अन्य केटलांक पद्यो काव्यतत्त्वनी दृष्टिले ऊंची कोटिनां होवा छतां, अत्रे ते विशे वात न करतां प्रशस्तिमांथी सांपडती जैतिहासिक विगतो अंगे चर्चा करीशुं. सङ्ग्राम सोनी मे जैन इतिहासनी सुप्रसिद्ध व्यक्ति छे. खम्भातना ऊकेशवंशीय धनाढ्य अने यशस्वी शेठ सांगणनी परम्परामां तेमनो जन्म थयो छे. तेमना वंश विशे बहु विस्तृत माहिती प्रस्तुत प्रशस्तिमां नोंधाई छे. वंशावली-चित्र नीचे मुजब छे - Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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