Book Title: Anusandhan 2014 03 SrNo 63
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 197
________________ जान्युआरी - २०१४ वधारवा विद्वज्जनोने नम्र विनन्ति. आ प्रकारना ऊहापोह पाछळ एक ज शुभ आशय छे के आपणे तर्कवादना जोरे कदीक उत्सूत्र कथन के सूत्रविरुद्ध कथनना दोषनो भोग न बनी जईए, अने पहेली नजरे तर्कसङ्गत भासता पण सूत्रविरुद्ध एवा प्रतिपादनने वाजबी मान्यतानो विषय गणी लईने प्रवर्तनारी अयोग्य परम्पराथी बची जईए. डॉ. नगीन जे. शाहनी विदाय __ भारतीय दर्शनशास्त्रोना विश्वविश्रुत गुजराती विद्वान डॉ. नगीनदास जे. शाहनु, ८२ वर्षनी वये, ता. ४-१-२०१४ना रोज, अमदावाद मुकामे दुःखद अवसान थयुं छे. पण्डित सुखलालजीनी परम्परामां तैयार थयेला प्रखर दार्शनिक विद्वानोनी उज्ज्वल शृङ्खलामां तेओ अन्तिम हता. तेमनी विदाय साथे गुजरातमा 'दर्शनयुग' समाप्त थयो छे एवं कही शकाय. आ अर्थमां आपणुं विद्याजगत् वधु रङ्क बन्यु छे, ए निःसन्देह छे. 'डॉ. नगीनभाईनी दार्शनिक प्रतिभा अने दार्शनिक चिन्तन हमेशां मौलिक रह्यं छे. तेमणे आलेखेला दर्शनशास्त्रीय ग्रन्थो ‘साङ्ख्य-योग दर्शन' 'न्याय-वैशेषिक दर्शन' विविध विश्वविद्यालयोमा पाठ्यग्रन्थ रह्या छे. तेमणे अनेक मौलिक चिन्तनात्मक दार्शनिक ग्रन्थो, अनुवादग्रन्थो तथा शोधप्रधान चिन्तनलेखो आप्या छे. तेओ एल.डी.इन्डोलोजीना कार्यकारी अध्यक्ष तरीके, प्राकृत टेक्स्ट सोसायटीना प्रमुख तरीके सेवा आपी चुक्या छे. तेमना मार्गदर्शन हेठळ अनेक देशी-विदेशी विद्यार्थीओए Ph.D. करेल छे. गुजरातने तथा भारतने आवा बहुश्रुत दर्शनविद जलदी मळे तेम नथी, तेथी तेमनी खोट चिरकालपर्यन्त सालशे. तेमना आत्माने 'अनुसन्धान'नी हार्दिक अंजलि हो ! Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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