Book Title: Anusandhan 2014 03 SrNo 63
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 167
________________ जान्युआरी - २०१४ १६१ ३ छे !) आमांथी सहजलदेना श्रेय माटे तेणे गिरनार पर विमलनाथना चैत्यमां देवकुलिका बनावी हती. (नेमि. प्र. श्लो. ९१) जै.प.इ.मां सङ्ग्रामने 'नकद-उल-मुल्क' (-नगदलमलिक)नी पदवी बादशाह महमूद खीलजी (सं. १४९२-१५२५)ओ आपी होवार्नु नोंधायुं छे. पण नेमि. प्र. श्लो. ७७-७८मां आ पदवी तेना अनुगामी बा. ग्यासुद्दीन खीलजी (सं. १५२५-१५५८)ो आपी होवानुं सूचवायुं छे. जै.प.इ. - भाग ३, पृ. ९५ पर वीरवंशावलीमा जणाव्या मुजब सोनी सङ्ग्रामसिंहनुं वर्णन आप्युं छे. जेमां तेने गुजरातना वढियारना लोलाडा गामनो वतनी जणाव्यो छे. वळी, तेनी माता देवा, पत्नी तेजा, पुत्री हांसी व.ने लईने माण्डवगढ ते गयो, त्यां दुर्गाना शुकन साथे प्रवेश कर्यो, ओक वांझिया आंबाने तेणे पोताना जीव साटे कपातो बचाव्यो अने ओ आंबाने फळवान बनावी बादशाह ग्यासुद्दीनने खुश करी तेणे बादशाह पासेथी कामदार- पद मेळव्युं व. विगतो नोंधाई छे. पण प्रस्तुत प्रशस्ति, जै.प.इ.मां ज नोंधायेली अमुक विगतो व. तपासतां जणाय छे के साङ्गण सोनीनो वंशज प्रसिद्ध सङ्ग्राम सोनी अने आ सङ्ग्राम बे जुदी ज व्यक्तिओ छे. केम के सङ्ग्राम सोनीना पिता नरदेवना वखतथी ज तेनो परिवार माण्डवगढमां वस्यो हतो, तेनुं मूळ वतन पण खम्भात हतुं, तेनी माता-पत्नी व. पण जुदां हतां, वळी ते पोते महमूद खिलजीना वखतथी ज माण्डवगढनो खजानची हतो, अटले ग्यासुद्दीनना हाथे कामदार पद मेळववानी तेने जरूर न हती. माटे आ बे सङ्ग्राम जुदा होवा छतां नामसाम्यने लीधे भेळसेळ थई होय तेम लागे छे.. ____ जोके वांझिया आंबावाळी वात प्रस्तुत सङ्ग्राम सोनी साथे जोडायेली गणाय छे. पण सङग्रामना स्वरचित बुद्धिसागर ग्रन्थ, प्रस्तुत प्रशस्ति, मण्डपीयसङ्घप्रशस्ति व.मां तेनो निर्देश नथी. वळी, सङ्ग्राम सोनी पर माण्डवगढना राज्यनो बधो मदार छे ओम ग्यासुद्दीन समजतो हतो अवं प्रशस्तिमां स्पष्ट कथन छे, (नेमि. प्र. श्लो. ७८) तो ओक आंबाने लगती वातमां बादशाह अने मारी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198