Book Title: Anusandhan 2014 03 SrNo 63
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 194
________________ १८८ अनुसन्धान-६३ अपेक्षाओ पण ओक ज परमाणुनी अनन्त स्थितिओ सर्जाई चूकी छे. वर्णादिनी परावृत्तिो पण अनन्त अवस्थाओ अक परमाणुनी सर्जाय छे. आ रीते अक परमाणुने ध्यानमां लईओ तो पण द्रव्य, क्षेत्र, काल अने भावना भेदे, ते ते भेदोनी परावृत्तिमा अनन्त समयो व्यतीत था छे. तो पछी अनन्तानन्त पुद्गलो अने पुद्गलस्कन्धोनी संयोगो-अवस्थाओने ध्यानमां लईओ तो पुद्गलो करतां अनन्तगुण समयो व्यतीत थया छे ते सहेजे समजाय तेवू छे. तो अतीतकालना समयोने पुद्गलो करतां अनन्तमा भागे कहेवा ते विचारणीय नथी ? २. ते टिप्पनककारे जे गणतरीथी अतीतकालनुं निर्धारण कर्यु छे, ओ गणतरीथी अनागतकाल- पण निर्धारण करी शकाय तेम छे. केम के वधुमां वधु छ महिने ओक जीव मोक्षे जवानो ज छे. तेथी 'अनागतकाल = सिद्धना जीवो x असङ्ख्य समयो' अर्बु समीकरण बनावी शकाय. ध्यान रहे के आ गणतरी मुजब जे अनागतकाल आवे छे, ते पुद्गलास्तिकायना अनन्तमा भागे ज रहे छे. तेथी पुदगलोथी समयो अनन्तगण छे, ओवी शास्त्रीय प्ररूपणा साथे तो तेनो विरोध आवे ज छे; पण संसारनी परिमिततानी आपत्ति पण आवे छे. जो के उपरनी वात सामे झैं दलील करी शकाय के सिद्धो अनागतकालमां केटला थवाना ते क्यां नक्की छे ? ओ राशि तो अनन्त छे. अनन्तकाल सुधी सिद्धोनी शृङ्खला चालु ज रहेवानी छे. तेथी अनागतकालनु आवी रीते निर्धारण करी शकाय नहि. दलील साची दिशानी गणाय. पण आ ज दलील अतीतकालमां पण केम लागु ना पडे ? सिद्धोनी शृङ्खलानो जेम अन्त नथी, तेम आदि पण नथी. तेथी ओ अपरिमेय राशिने आधारे परिमित अतीतकालनुं निर्धारण करी शकाय नहि. 'अतीतकाल आटलो' अq निर्धारण आपोआप संसार- सादित्व सिद्ध करी आपे से नक्कर सत्य छे. ३. ते टिप्पनककारना कहेवा मुजब "ओक जीवथी तो नहि ज, सकल जीवथी पण आज सुधीमां पुद्गलोनो अनन्तमो भाग ज गृहीत थयो छे." आनी सामे 'अनुयोगद्वारसूत्र'नी मलधारीय टीकानो पाठ जुओ - "स कश्चित् पुद्गलोऽपि नाऽस्ति योऽतीताद्धायामेकैकजीवेनौदारिकशरीररूपतया अनन्तशः परिणमय्य न. मुक्तः ।" (सूत्र ४१३ टीका) (ओवो कोई पुद्गलपरमाणु नथी के जे ओके जीव द्वारा औदारिकशरीररूपे अनन्ती वखत परिणमावीने छोडवामां Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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