Book Title: Anusandhan 2014 03 SrNo 63
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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अनुसन्धान- ६३
सोनी साथे मेळाप थतां नरदेवना गुणोथी बादशाह खूब ज खुश थयो अने तेणे नरदेवने पोतानो कोशाधिकारी बनाव्यो. साङ्गण सोनीनो वंश आ रीते सं. १४६० पछी खम्भात छोडीने माण्डवगढमां स्थिर थयो. प्रशस्तिकार जणावे छे के नरदेव पहेलाना साङ्गणना वंशजोनो जन्म खम्भातमां थयो हतो, ज्यारे ते पछीनानो जन्म मालवामां थयो हतो. ( नेमि. प्र. श्लो. ५१ )
प्रशस्तिमां नरदेवना बे सुकृतो नोंधायां छे : १. तेना माण्डवगढमां आगमन बाद ज्यारे भीषण दुष्काल पड्यो त्यारे तेणे सत्रागारो चलावी मनुष्यबीजने धरती परथी नाश पामतुं बचावी लीधुं हतुं. माटे लोकोओ तेने 'दिननृप' (-दीहाडीरा) अवुं बिरुद आप्युं हतुं. (नेमि. प्र. श्लो. ६५). २. कोईक कारणसर माण्डवगढमां चौद वरसथी साधुभगवन्तो नहोता पधार्या. नरदेवे बादशाह पासेथी फरमानपत्र मेळवीने से प्रदेशमां साधुओनो विहार पाछो चालु कराव्यो. (नेमि. प्र. श्लो. ७०)
जै. प.इ. भाग ३, पृ. ९१ पर सोनी नरियाने लगतो ओक प्रतिमालेख आ नरदेव साथै सम्बन्धित मानी प्रकाशित थयो छे, पण अ सोनी नरिया प्रस्तुत नरदेव सोनीथी जुदी 'ज व्यक्ति छे. केमके ओना पुत्रनुं नाम लेखमां पद्मसिंह नोंधायुं छे, ज्यारे नरदेव सोनी तो सङ्ग्रामना पिता छे. जो के पद्मसिंह सङ्ग्रामनो भाई होय ओम कल्पना करी शकाय, पण अ ओटले शक्य नथी बनती के प्रतिमालेखमां सङ्ग्रामनुं नाम ज नथी. वळी, प्रस्तुत प्रशस्तिकार भगवन्ते पण पद्मसिंहनो उल्लेख नथी कर्यो.
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१४. धनदेवे धन खर्चीने सवा लाख बन्दीओने केदखानामांथी छोडाव्या हता. (नेमि. प्र. श्लो. ७२)
१५. जै.प.इ. - .भाग ३, पृ. ९२-९६ पर सग्राम सोनी विशे विस्तृत माहिती आपी छे. तेथी ते विशे झाझुं न लखतां प्रशस्तिमां मळती पूरक माहिती ज नोंधुं :
१.
जै.प.इ. मां सङ्ग्राम सोनीने गुराई अने रत्नाई ओम बे पत्नी होवानी नोंध छे. पण नेमि. प्र. श्लो. ३७मां तेनी पांच पत्नीओनां नाम आप्यां छे: विनयवती, सहजलदे, गुराई, रत्नाई अने शृङ्गारदे. (लाभसागरजीओ तो आ पांचने प्रस्तावनामां सङ्ग्रामनी बहेनो कही
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