Book Title: Anusandhan 2014 03 SrNo 63
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 190
________________ १८४ अनुसन्धान-६३ दव्यपुद्गलपरावर्त शक्य छे के नथी ? ___ मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय कालना उत्कृष्ट मापनुं नाम 'पुद्गलपरावर्त' छे. चौद रज्जु जेटला विशाल लोकमां व्याप्त समस्त परमाणुओने ग्रहण करीने छोडवामां अक जीवने जेटलो समय लागे, मतलब के अेक जीव द्वारा तमाम परमाणुओनी परावृत्ति थवामां जेटलो समय पसार थाय, तेटला कालने 'पुद्गलपरावर्त' अवा नामे ओळखवामां आवे छे. जो के 'पुद्गलपरावर्त' शब्द उपरोक्त व्याख्या मुजब परमाणुओनी परावृत्तिना कालने ज सूचवे छे, तो पण शास्त्ररूढिना बले प्रदेशपरावृत्ति, समयपरावृत्ति अने अध्यवसायपरावृत्तिमां पसार थता कालने पण 'पुद्गलपरावर्त' तरीके जणाववामां आवे छे. माटे पुद्गलपरावर्तना ४ प्रकार पडे छे : १. परमाणुपरावृत्तिकाल = द्रव्यपुद्गलपरावर्त २. प्रदेशपरावृत्तिकाल = क्षेत्रपुद्गलपरावर्त ३. समयपरावृत्तिकाल = कालपुद्गलपरावर्त ४. अध्यवसायपरावृत्तिकाल = भावपुद्गलपरावर्त. आमांथी अत्रे द्रव्यपुद्गलपरावर्त विशे ज चर्चा अभिप्रेत छे. द्रव्यपुद्गलपरावर्त - सकलपरमाणुपरावृत्ति कई रीते समजवी तेने अंगे अलग-अलग निरूपण मळे छे. १. सकल लोकमां वर्तमान समस्त पुद्गलोने औदारिक, वैक्रिय, तैजस, कार्मण, भाषा, आनप्राण अने मन मे सात पदार्थो रूपे परिणमावीने छोडवा ते पुद्गलपरावर्त. - (जीवसमास-गाथा २५७- मलधारीय टीका.) ___ (अत्रे स्वमते द्रव्य-क्षेत्र के सूक्ष्म-बादर अवा कोई भेदो नथी. अन्य आचार्योना मते जे भेदो देखाड्या छे.) २. शतकनी स्वोपज्ञ वृत्तिमां (-श्रीदेवेन्द्रसूरिजी) गाथा ८७मां द्रव्यपुद्गलपरावर्तना बे भेद देखाड्या छे - स्थूल अने सूक्ष्म. औदारिक व. उपर दर्शावेला सात रूपे अक जीव द्वारा तमाम पुद्गलोने परिणमावीने मूकवामां व्यतीत थतो समय ते स्थूल द्रव्यपुद्गलपरावर्त. अने सातमांथी कोई ओक ज रूपे परिणमनमा लागतो काळ ते सूक्ष्म द्रव्यपुद्गलपरावर्त. सूक्ष्ममां विवक्षित Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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