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जान्युआरी - २०१४
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पांच-पन्द्रह ही मिले हैं, जो जैन कल्पसूत्रपोथियों की संख्या की तुलना में
अत्यल्प व नगण्य है। इस स्थिति में उन ग्रन्थों की चित्रावली को जैन शैली के निष्णात चित्रकारों द्वारा निर्मित मान लेना और इस शैली को "जैन चित्रशैली" नाम देना बेहतर है।
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