Book Title: Anusandhan 2007 07 SrNo 40
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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जुलाई - २००७
पणुवीसवाससहसा कुमार - मंडलिय - चक्कवट्टिए । पत्तेयं भविय तुमं नरिंद- सहसेण सहसंबे || ३ || कछट्टो जिट्ठ- चउद्दसीइ कसिण्ण (णा ? ) इ विरइमणुरत्तो । पत्तोसि सुमित्ताओ परमन्नमणंतरम्मि दिणे ||४|| वासंते तम्मि वणे लद्धूणं सुद्ध-पोस - नवमीए । नाणवरं वरसीसा छत्तीसा गणहरा विहिया ॥५॥ मुणिणो बिससिहसा अज्जा इगसट्ठिसहस - छसया य। गरुडो निव्वाणी तुह भत्ता कोणालयो य निवो ||६|| वाससहस्साणि वयं पणुवीसं वासलक्खमाउं च । पाऊण पल्लरहिए गयम्मि धम्माउ अयरतिगे ॥७॥ नवसाहुसएहिं समं जिट्ठासिय-तेरसीइ सम्मेए । मुत्तुं मुत्तिमसारं सारं पत्तोसि तुज्झ नमो ॥८॥
सिरि कुंथुणाह - थुत्तं
सिरिकुंथुनाह ! थुणिमो परमत्थ - परोवयार करणत्थं । सव्वट्ठाओ चवणं तुह सावण - कसिण - नवमी ॥१॥ नागपुरे सूर - सिरीण कसिण - वइसाह - चउद्दसीइ तुमं । छगलंछण कणयप्पह पणतीसधणुच्च जाओसि ॥२॥ कुमरो तह मंडलिओ चक्कीवि य भविय वास - सहसाई । पाओण- चउव्वीसं पत्तेयं नरसहस्सजुओ ॥३॥ छट्टेण कसिण - वइसाह - पंचमी चरिय चरिय सहसंबे । बीयदिणम्मि पवन्नो परमन्नं वग्घसीहाओ ||४|| सोलसवरिसेहिं तहिं उज्जाणे चित्त-सुद्ध-तइयाए । हय - घाइकम्म तुमए पणतीसं गणहरा विहिया ॥५॥ साहू सट्ठि - सहस्सा अज्जाओ सट्ठि सहस छसया य । तुह नाह विहियसेवा गंधव्व-बला कुबेरनिवो ||६|| पाऊण चउवीसं पणनवई चेव वास - सहसाईं । तुह वयमाउं च गए सिरिसंतिजिणाउ पलियद्धे ||७||
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