Book Title: Anusandhan 2007 07 SrNo 40
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 47
________________ ४० अनुसन्धान- ४० स्नाननुं वर्णन आवे छे. पछी वात थई छे भोजननी. क. ३० थी ४७मां भोज्य पदार्थोनुं अन्नकूटोत्सव-समुं वर्णन छे; क. ३८मां हाथ मों धोई भोजन पूरुं थयानुं सूचन छे; तो क. ४९-५०मां मुखवास - विधिनुं वर्णन छे. आ पछी प्रभुने माता सुवडावी दे छे, तो ते शय्यानुं - शयनस्थाननुं वर्णन क. ५१-५२ मां सरस थयुं छे. वैष्णव सम्प्रदायमां ठाकोरजीना मनोरथोनुं थाय तेवुं ज लगभग आ वर्णन छे, जे भक्त हृदयने अनेरा भक्ति - उल्लास जगाडी जाय तेवुं छे. आ वर्णनमां आवतां भोज्य पदार्थोनां नामोनो परिचय कोई रसिकजन विगते करावे तो अपेक्षित छे. रमत ते 'रामति', 'मरकडलो' ते अत्यारे 'मरकलडा' तरीके जाणीतो शब्द छे, जेनो सम्बन्ध मन्द मन्द स्मित थाय छे; 'खलह' ते 'खलेलां - लीली खारेक; 'पुंख' ते पोंक; 'मोगरेल' ते मोगरानुं तेल; 'चांपेल' ते चंपानुं तेल (धूपेल- फुलेल जेवा प्रयोग); 'डोइले' एटले 'डोया वडे 'इंडी पिंडी' ते पोंखणां वाचक; 'ताकची' ते वळी कोई मराठी शब्द; 'ठोठडी' ते घउंना ठोठां-पोंक; 'मगा'थी मग समजाय; 'ढुढण' नथी उकलतुं; 'प्रीसु'- पीरसुं; 'शदाफल' एटले सीताफल ? ; 'करमख' ते हमणां 'कमरख' नामे जाणीतां; थोडाक शब्दो विषे आटली खणखोद. श्री आदिनाथ बाललीला ॥ सरसतीमातादेवी, चरणकमल शेवि, बालकृ (की) डा गांउं आदिनाथनी ॥१॥ जेहने मरुदेवी मात, ये (जे) हने नाभिरायां तात, इंद्र चंद्र सेवें पाय प्रथमनाथ ||२|| अंगणी शोभा बहु, त्रण्य ज्ञांने सुझें सहु, इंद्रथी अधिको रूप पार न लहुं ||३|| माथें रे मुगट सोहें, सोवनकुंडल दोई, ललकती लाल चोटि नव घरं सोहें ॥४॥ बाजुबंध रखा बांहिं, शोवन कडलि त्यांहों, मुद्रा कांनें वेढ वींटि आंगुलिमांहें ॥५॥ केंडें ते कन्दोरो सार, पाए झांझर झम्मकार, घुघर घुमावों वछ न लहुं पार ||६|| कोटें नवसर हार, तेज नवि लाभें पार, रायमलबहुमल अंगें सेंणगार ||७|| पछेडो पीतांबर केरो, कभायनो झगोकणो (?) पंचवरणी वेणी पुत्र पेरोंने चरणो ॥८॥ पाए ते खरी मोजडी, हाथमां गेडी नें दडी, देवतास्युं देव रमें रांमति सडी ||९|| Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96