Book Title: Anusandhan 2003 04 SrNo 23
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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अनुसंधान-२३
कर लाकरी हिय लोभता । ललपण वडपण कीन ।२। वसइ बुराई जास तन । ताहीको सनमान । . भलो भलो करि छोडीयइ । खोटे ग्रहे जपदान ।३। कनक कनकते सो गुनौ । मादकता अधिकाय । इहिं खायें बौरात तन ।
उहिं पायै बौराय ।४। श्रीः स्तात् । वाचनावसरे मुखे यत्नाकरणीयेति रहस्यम् ॥
कठिन लागता शब्दोना अर्थ आहट दोहट- अघट-दुर्घट परिणाम
विचार सयण
स्वजन दुसमण कालरो सोच कालनो शोच(चिन्ता) मोनइ
मने ताई
सुधी पाया कूड
कूट-प्रपंच धनरइ अनइं धनने अने कुटुंबरइ वासतइ कुटुंबने वास्ते हर किसो
हरेक-कोईपण
दुश्मन
भेद
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