Book Title: Anusandhan 2003 04 SrNo 23
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 87
________________ 82 अनुसंधान - २३ छे त्यारे तेमने आ. बप्पभट्टीसूरि प्रतिबोध पमाडीने जैन दीक्षा आपवापूर्वक जैन मुनि बनावे छे तेवी विलक्षण ऐतिहासिक घटनानी पण आमां नोंध थई छे. (पृ. ३९) वत्सराज - उदयन ( वासवदत्ता) प्रबन्धमां 'नागमत' नामे ग्रन्थ (के पछी संप्रदाय ? ) नो उल्लेख पण अहीं मळे छे. (पृ. ८८) ५. आजे जैन संघमां संवत्सरी पर्व - भाद्रपद शुदि चोथ/पांचम ए मुद्दे विविध वितंडावाद - विसंवाद प्रवर्ते छे. त्यारे आ प्रबन्धकोशमां (अने प्रभावकचरित आदि ग्रन्थोमां पण) वर्णवेल आ. बप्पभट्टिसूरिनो प्रसंग अत्यन्त सूचक बनी रहे तेवो छे. अहीं मळता वर्णन मुजब, ज्यारे नागावलोक आम राजा अवसान पाम्यो त्यारे, ते दिवसे भादरवा शुदि पांचम हती; राजा तथा बप्पभट्टिसूरि गंगानदीमां नौकाविहार करी रह्या हता; त्यारे राजानुं मृत्यु थयुं हतुं प्रबन्धनो पाठ आ प्रमाणे छे : " सह सूरिणा नावारूढो गङ्गासरित्तीरे तीर्थं मागधं गतः । तत्र जले धूमं दृष्टवान् । तदा सूरीन्द्रमक्षमयत् । संसारमसारं विदन् अनशनमगृह्णात् । समाधिस्थः श्रीविक्रमकालात् अष्टशतवर्षेषु नवत्यधिकेषु व्यतीतेषु भाद्रपदे शुक्लपञ्चम्यां पञ्च परमेष्ठिनः स्मरन् राजा दिवमध्यष्ठात् ।" (पृ. ४३) अने बप्पभट्टिसूरि शिथिलाचारी हता, तेवुं पण नथी. वास्तवमां तो तेओ ज्यारे स्वर्गारूढ थया त्यारे शासनदेवताए तेमना शिष्योने कह्युं के तमारा गुरु ईशान (बीजा) देवलोकमां गया छे. (पृ. ४५). सार एटलो ज के भाद्र शुदि चोथ निमित्ते चालता विखवादो वधारनार - चलावनार लोको माटे, जो परिणति जेवुं होय तो, आ प्रसंग बहु मार्मिक अने बोधदायक बनी रहे तेवो छे. ६. केटलाक उल्लेखो इतिहास - पुरातत्त्वनी दृष्टिए आगवुं महत्त्व धरावनारा जणाय छे. तेवा उल्लेखो पर एक दृष्टिपात करीए : • वटपद्रपुर ( वडोदरा ? ) ना राणा यशोभद्रे श्रीदत्तसूरि आचार्य पासे डिण्डुआणा गामे जई दीक्षा लीधी; ते पूर्वे पोतानो मूल्यवान हार त्यांना श्रावकोने आपीने तेमांथी सुन्दर प्रासाद (देरासर) कराव्यो. ते विषे प्रबन्धकार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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