Book Title: Anusandhan 2003 04 SrNo 23
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 94
________________ April-2003 विद्वानोमां वधु आदेय बनशे. ३. पाटण जैन धातुप्रतिमा-लेखसंग्रह संकलन-संपादन : लक्ष्मणभाई ही. भोजक प्रका. : मोतीलाल बनारसीदास प्रा.लि. तथा भो.ल.इन्स्टिट्यूट ऑफ इन्डोलोजी, दिल्ली, ई. २००२ गुजरातनुं जूनुं पाटनगर पाटण, त्यांना शताधिक जैन देरासरोमां विद्यमान सेंकडो धातुप्रतिमाओना लेखोनुं वांचन करीने तेने लिपिबद्ध करवा पूर्वक ग्रन्थबद्ध करवानु अत्यन्त कष्टसाध्य कार्य आ पुस्तकरूपे आपणी समक्ष आव्युं छे. आ विकट कार्य, आटली श्रेष्ठ पद्धतिथी, मात्र लक्ष्मणभाई ज करी शके, एम कहेवामां लेश पण अत्युक्ति नथी. १७३७ लेखो, विविध उपयोगपूर्ण परिशिष्टो वगेरेना संचयरूप आ ग्रन्थ एक ऐतिहासिक सन्दर्भग्रन्थनी गरज सारशे, तेमां शंका नथी. ४ OSIAJI - Temple of Mahavira (Monograph) By Ravindra Vasavada प्रका. ला.द.विद्यामन्दिर अने आणंदजी कल्याणजीनी पेढी, अमदावाद ई- २००१ (अंग्रेजी भाषामां) उपकेश-ओसवाल वंश, उपकेश गच्छ इत्यादिना उद्गमस्थानरूप, राजस्थाननुं ओसिया तीर्थ ए प्राचीन जैन तीर्थ छे. तेनां पुरातन मन्दिरोनो इतिहास अने स्थापत्यनी दृष्टिए सुग्रथित अभ्यास आपतुं सुन्दर प्रकाशन. विविध छबीओ (Plates) अन नकशाओ (Maps) आ पुस्तक, महत्त्वपूर्ण अंग छे. ला.द.विद्यामन्दिर द्वारा स्वीकारायेल Project for studies in Temple Architecture श्रेणीनुं आ प्रथम प्रकाशन छे. 5. Jainism and the New Spirituality By Vastupal Parikh Peace Publications, Toronto, Canada, 2002 विदेशोमां वसता जैन बन्धुओनी, जैन तत्त्वज्ञान विषे जाणवानी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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