Book Title: Anusandhan 2003 04 SrNo 23
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 95
________________ 90 अनुसंधान - २३ ऊंडी जिज्ञासाने संतोषवा माटेनो एक सरस प्रयत्न एटले आ प्रकाशन. सुंदर अने सचित्र प्रोडक्शन, अभ्यासपूर्वकनुं आलेखन, जैनोना तमाम फिरकाओने तथा दरेकनी मान्यताओने सांकळीने रजूआत थई होई पायाना जैन तत्त्वज्ञान परत्वे सारो भार अपायो जणाय छे. जैन ग्रन्थो तथा ग्रन्थकारो विषे आपवामां आवेली माहिती तद्दन स्थूल कक्षानी लागे. जैन वेबसाइट्सनी सूचि आपी छे जे तेना रसिकोने उपयोगी थाय तेवी छे. ६. प्रबुद्धरौहिणेयनाटक प्रबन्धः मुनि रामभद्रकृत गुज. भावनुवाद सह, अनुवादक : विजयशीलचन्द्रसूरि प्रकाशक : जैन साहित्य अकादमी, गांधीधाम (कच्छ), ई. २००३ मूळ श्रीपुण्यविजयजी द्वारा संपादित नाटकरचना पण पुनः मुद्रित करवामां आवी होवाथी अभ्यासी जनोने उपयोगी थशे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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