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अनुसंधान-२३ माहिती
नवां प्रकाशनो १. शास्त्रवार्तासमुच्चय (हिन्दी भाषानुवाद - टिप्पणसहित)
कर्ता : श्रीहरिभद्रसूरि, अनुवादक : के. के. दीक्षित प्रका. : ला. द. भा.सं. विद्यामन्दिर, अमदावाद द्वितीय मुद्रण : ई. २००२
भवविरहाङ्क सूरिवरनी श्रेष्ठतम दार्शनिक कृतिनो सरस-सरल स्पष्ट हिन्दी अनुवाद, आ ग्रन्थमा प्ररूपित गहन पदार्थोनो सुगम बोध कराववामां खूब उपकारक बने तेम छे. विस्तारथी आ विषयनो अभ्यास करवानी अनुकूलता न होय तेवा संक्षेपरुचि अभ्यासीओ माटे उपयोगी प्रकाशन.
२. सुदंसणाचरियं (प्राकृत गाथा-गद्यपद्यात्मक)
कर्ता : अज्ञात, संपादक : डॉ. सलोनी जोशी प्रका. : ला.द.भा.सं. विद्यामन्दिर, अमदावाद, ई. २००२
खंभातना श्रीशान्तिनाथ ताडपत्रभंडारमा प्राप्य एक मात्र ताडपत्रीय प्रतिना आधारे करवामां आवेलुं संपादन. भृगुकच्छ-भरुचना समळीविहार नामना जैन चैत्य साथे संकळायेल समळी-राजकुमारी सुदर्शनानुं इतिवृत्त वर्णवती आ रचनाना प्रकाशनथी प्राकृत भाषा-साहित्यमां एक मूल्यवान ग्रन्थनो उमेरो थाय छे. प्रति अशुद्ध, त्रुटित पाठो, एकमात्र पोथी - आ स्थितिमां "प्राकृत' साहित्य पर काम करवू ए स्वयं एक प्रकार साहस ज गणावू जोईए. आना करतां 'संस्कृत'नी कोई कृति पर काम करवानुं वधु अनुकूल बनी रहे. परंतु संपादिका बहेने कंटाळ्या विना आ कठिन कार्य पार पाड्यु, ते बदल तेमने अभिनन्दन घटे छे. खास करीने आजे आपणे त्यां प्राकृत साहित्य विषे काम करनारा के अध्ययन करनाराओनो जे विकट अकाल (लगभग) प्रवर्ते छे, त्यारे तो आवं कार्य करनारने विशेष धन्यवाद आपवा ज रहे. विस्तृत प्रस्तावना तथा उपयोगी परिशिष्टो होवाथी आ ग्रन्थ
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