Book Title: Anusandhan 2003 04 SrNo 23
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 88
________________ April-2003 83 नोंधे छे के "अद्यापि दृश्यते स तत्र ।" (पृ. ४६). आ प्रसंग संभवतः १०मा सैकानो छे. • आजना महाराष्ट्रमां- दक्षिण भारतमां कोल्हापुर नगर छे, अने . त्यां महालक्ष्मी देवीनु प्रसिद्ध पीठरूप प्राचीन मन्दिर छे. ते विषे आ ग्रन्थमां वर्णवाता एक कथात्मक प्रबन्धमां-सातवाहन प्रबन्धमा आवो उल्लेख छ : "क्रमात् प्राप्तौ कोल्लापुरम् । तत्रस्थं महालक्ष्मीदेव्या भवनं प्रविष्टौ ।" (पृ. ७०-७१). आनो अर्थ एम करी शकाय के आ बे वानां, ओछामां ओछु, १४मा सैकामां विद्यमान हतां ज. • वंकचूलप्रबन्धमां चर्मण्वती (आजनी चंबल) नदीना किनारे वंकचूल द्वारा चैत्यनिर्माण, नदीमांथी महावीरस्वामीनुं तथा जीवन्तस्वामीरूप पार्श्वनाथनुं बिम्ब कढावी तेमां प्रतिष्ठा वगेरेनुं कथानक प्रबन्धकारे आलेख्युं छे. तेमां कांईक सेळभेळ (बे भिन्नकालीन बनावोनी) थई होय तेवो वहेम पडे छे. परन्तु, ते प्रतिमाओ ने मन्दिर अंगे प्रबन्धकारनी नोंध ध्यानार्ह छे. ते नोंधे छे के : - १. अद्यापि तथैवास्ते (पृ. ७६) । २. अद्यापि तत् किल तत्रै वास्ते (पृ. ७७) । (अहीं 'तत्' एटले ते जिनबिम्बो). ३. अद्यापि स भगवान् श्रीवीरः, स च चेल्लणपार्श्वनाथः, सकलसङ्घन तस्यामेव पुर्यां यात्रोत्सवैराराध्यते इति । (पृ. ७७). • सिद्धयोगी नागार्जुनना प्रबन्धमां नागार्जुने रैवतक गिरिनी तळेटीमां दशाहमण्डप करावेलो ते ऐतिहासिक बीना विषे आ प्रमाणे नोंध आ ग्रन्थ आपे छे : "येन खटिकासिद्धिवशाद् दशाहमण्डपादिकीर्तनानि रैवतकोपत्यकायां कृतानि" । (पृ. ८६) • गिरनार पर्वत परना तीर्थपति नेमिनाथनुं आजे विद्यमान बिम्ब कोनुं भरावेलुं हशे ? ते बाबते प्रकाश पाडतो एक नोंधपात्र उल्लेख आ ग्रन्थगत 'रत्नश्रावकप्रबन्ध मां सांपडे छे. (घणीवार भ्रमणा थाय छे के आजे छे ते बिम्ब मंत्री वस्तुपाले भराव्यु हशे. पण तेमना चरित्रमा तेमणे ते बिम्ब भराव्यानो क्यांय उल्लेख नथी.) आ प्रबन्ध वर्णवे छे तेम, अम्बिका देवीनी सूचनाथी पर्वतीय गुफाभण्डारमा सुरक्षित एवी आ पाषाणमयी प्रतिमा रत्न श्रावक लई आव्या, अने पूर्वनी वेळुमय (sand stone) प्रतिमा जे पोताना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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