Book Title: Anusandhan 2003 04 SrNo 23
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
कोठारीपोळना चिन्तामणि पार्श्वनाथनुं स्तवन
सं. डो. रसीला कडिया प्रतपरिचय :
प्रत संख्या =१ माप =११.५ से.मि. x २३ से.मि. पंक्ति संख्या =२१ अक्षर संख्या =२०
स्थिति =उत्तम आजुबाजु हांसिया माटेनी जरा पण जग्या छोडेली नथी, के हांसियालीटी दोरेली नथी. लखाण अहीं उपरथी नीचे तरफनु ऊभुं छे. प्रारंभे भले मींडं करेल नथी पण स्तवन शरू करतां पहेलां वच्चोवच्च उपरना भागे श्री लखेल छे. छेल्ली-आठमी कडीमां अक्षरो घणा ज मोटां अने छूटां छे. बीजा कोईना हाथे ए कडी लखाइ होय तेम लागे छे. अक्षरो बाकीना मध्यम कदना छे. कडीने अंते संख्या पहेलां अने पछी जग्या छोडेली छे पण दंड कर्या नथी लखाण छेकछाकवाळु छे.
प्रस्तुत स्तवन राजनगर (अमदावाद) मध्ये झवेरीवाड विस्तारमां आवेल श्रीचिन्तामणि पार्श्वनाथना जिनालय विशे एक ऐतिहासिक माहिती आपे छे. शेठ नथमल शाहे संवत १८४५मा माघ वद ४ने गुरुवारना रोज श्रीपार्श्वनाथने तख्ने बेसार्या हता अर्थात् प्रतिष्ठा थई हती. आ पछी संवत १८८८मां नथमल शेठना नानाभाई वखतचंदना पुत्रे जीर्णोद्धार करावेल छे.
_ 'राजनगरना जिनालयो' (आ.क. पेढी प्रकाशित) पुस्तकमां पण शेठ नथुशाओ देरासर बंधाव्यानो उल्लेख छे, पण साल आपी नथी. वळी, शांतिनाथना (बाजुना) देरासरनी भींत परनो लेखने आधारे सं. १८७२मां शेठ इच्छाचंद वखतचंद तथा शेठाणी झवेरबाईओ प्रतिष्ठा कराव्यानो उल्लेख छे. वळी आ पुस्तकमां (पृ.१०७) पर 'अमदावादना इतिहास'मांथी लीधेली नोंध प्रमाणे नगरशेठ शांतिदास झवेरीना देरासरमांनी शामळी नानी चिन्तामणि पार्श्वनाथनी मूर्तिने झवेरीवाडमां सुरजमलना दहेरामां पधरावेल हती. प्रस्तुत प्रतिष्ठित
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98