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अनेकान्त 69/3, जुलाई-सितम्बर, 2016 गुण है। स्त्रियाँ अपने मस्तक पर बिन्दी धारण करती हैं, मानो उन्होंने पुरुषों को वशीकरण करने के लिए तिलक धारण किया है। गले में हार पुरुष के मन को हरने के लिए धारण किया है अर्थात् पराजित करने के लिए पहना है। केशों का विघटन करके मानों संस्कारों का त्याग किया है। नूपुर की आवाज से पुरुष को आकर्षित करती है, मानो संसार के सारे कोलाहल के लिए उसे बधिर किया हो। स्त्रियों ने पुरुषों को अपने बाजुओं में बांधने के संकल्प स्वरूप बाजूबंद धारण किया है। स्त्रियों ने अपने मस्तक पर सिन्दूर धारण मानों पुरुषों पर विजय प्राप्ति के सूचक रूप में धारण किया है। इस प्रकार स्त्रियाँ पुरुषों को अपने आधीन करने के लिए ही सारे शृंगार आदि करती हैं, तो पुरुष उनके आधीन होकर अपनी स्वतंत्रता क्यों समाप्त करना चाहते हैं। स्त्रियों के अंगों की प्रवृत्ति एवं विरक्ति -
कामी स्त्रियों के प्रत्येक अंग काम का प्रदर्शन करते हैं। जिस कारण पुरुष उस पर आसक्त हो जाए। सुदर्शन चरित्र में सुदर्शन सेठ पर वेश्या द्वारा उपसर्ग में कामुक मुद्रा में स्त्रियों के हावभाव का वर्णन किया है। आचार्य शुभचन्द्र ने कहा है कि कामदेव का निवास स्त्रियों में होता है, मानों कामदेव ने प्राणी समूह को स्त्री रूपी अथाह कीचड़ में डुबा दिया है। मानों कामदेव ने स्त्रियों के माध्यम से प्राणिसमूह को काम से व्यथित किया है। स्त्रियाँ अपने नेत्र के कटाक्ष से पुरुषों के मन को आघात पहुँचाती है, मानों कामदेव ने कटीले नेत्र से उनके पवित्र मन को अशान्त कर दिया है। अपने केश संस्कार से संस्कारित मानी जाने वाली कामी स्त्रियाँ केश बंधन को खोलकर मानों संस्कारों से रहित होकर पुरुषों के मन को आकर्षित कर असंस्कार के समुद्र में डुबो रही है। स्त्री के जघनस्थान में नव लाख जीव होते हैं। जिसका भोग पापकारक है। इस विषय में ज्ञानार्णवकार ने वर्णन किया है -
वरमाज्यच्छटोन्नद्धः परिरब्धो हुताशनः।
न पुनर्दुगतेारं योषितां जघनस्थलम्॥ अर्थात् घी के समूह से सींची गई अग्नि का आलिंगन करना, चलती हुई चंचल जिह्वावाली कुद्ध सर्पिणी का आलिंगन करना कहीं श्रेष्ठ