Book Title: Anangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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________________ 418 अनंगपविटुसुत्ताणि चउट्ठाणवडिए, वण्णाइअट्ठफासपजवेहि य छट्ठाणवडिए / अजहण्णमणुक्कोसपएसियाणं भंते ! खंधाणं केवइया पजवा पण्णत्ता गोयमा ! अणंता। से केणटेणं०? गोयमा ! अजहण्णमणुक्कोसपए सिए खंधे अजहण्णमणुक्कोसपए सियस्स खंधरसं दवट्ठयाए तुल्ले, पएसड्याए छट्ठाणवडिए, ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए, ठिईए चउट्ठाणवडिए, वण्णाइअहफासपजवेहि य छट्ठाणवडिए // 276 // जहण्णोगाहणगाणं भंते ! पोग्गलाणं पुच्छा / गोयमा ! अणंता• / से केणटेणं० 1 गोयमा ! जहण्णोगाहणए पोग्गले जहण्णोगाहणगस्स पोग्गलस्स दव्वट्टयाए तुल्ले, पएसट्टयाए छट्ठाणवैडिए, ओगाहणट्ठयाए तुले, ठिईए चउट्ठाणवडिए, वण्णाइउवरिलफासेहि य छठाणवडिए / उक्कोसोगाहणए वि एवं चेव, णवरं ठिईए तुल्ले / अजहण्णमणुक्कोसोगाहणगाणं भंते ! पोग्गलाणं पुच्छा। गोयमा ! अणंता० / से केणटेणं० 1 गोयमा ! अजहण्णमणुक्कोसोगाहणए पोग्गले अजहण्णमणुक्कोसोगाहणंगस्स पोग्गलस्स दबढ़याए तुल्ले, पएसट्ठयाए छट्ठाणवडिए, ओगाहणयाए चउट्ठाणवडिए, टिईए चउ- . ट्ठाणवडिए, वण्णाइअट्ठफासपजवेहि य छट्ठाणवडिए ||277 / / जहण्णठिइयाणं भंते ! पोग्गलाणं पुच्छा / गोयमा ! अणंता० / से केणटेणं० 1 गोयमा ! जहण्णठिइए पोग्गले जहण्णठिइयस्स पोग्गलस्स दव्वयाए तुल्ले, पएसड्याए छट्ठाणवडिए, ओगा. हणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए, ठिईए तुल्ले, वण्णाइअट्ठफासपजवेहि य छट्ठाणवडिए / एवं उक्कोसठिइए वि / अजहण्णमणुक्कोसठिईए वि एवं चेव, णवरं ठिईए वि चउट्ठाणवडिए // 278 // जहण्णगुणकालयाणं भंते ! पोग्गलाणं केवइया पजवा पण्णत्ता ? गोयमा ! अणंता० / से केणटेणं० 1 गोयमा ! जहण्णगुणकालए पोग्गले जहण्णगुणकालयस्स पोग्गलस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले, पएसट्टयाए छट्ठाणवडिए, ओगाहणट्ठयाए चउट्ठाणवडिए, ठिईए चउट्ठाणवडिए, कालवण्णपजवेहिं तुल्ले, अवसेसेहिं वण्णगंधरसफासपजवेहि य छटाणवडिए, से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ-'जहण्णगुणकालयाणं पोग्गलाणं अणंता पजवा पण्णत्ता'। एवं उक्कोसगुणकालए वि / अजहण्णमणुक्कोसगुणकालए वि एवं चेव, णवरं सहाणे छट्ठाणवडिए / एवं जहा कालवण्णपजवाणं वत्तव्वया भणिया तहा सेसाण वि वण्णगंधरसफासाणं वत्तव्यया भाणियव्या जाव अजहण्णमणुक्कोसलुक्खे सट्ठाणे छट्ठाणवडिए / सेत्तं रूविअजीवपजवा / सेत्तं अजीवपजवा।२७९। पण्णवणाए भगवईए पंचमं विसेसपयं समत्तं।

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