Book Title: Anangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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________________ 572 अनंगपविट्ठसुत्ताणि गोयमा ! जीवेगिंदियवज्जो तियभगो, एवं कण्हलेमा वि णीललेसा वि काउलेसा वि जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो। ते उलेसाए पुढविआउवणस्सइकाइयाणं छब्भंगा, सेसाणं जीवाइओ तियभंगो जेसिं अस्थि ते उलेसा, पम्हलेसाए सुक्कलेसाए य. जीवाइओ तियभंगो, अलेसा जीवा मणुस्सा सिद्धा य एगत्तेण वि पुहुत्तेण वि णो आहारगा अणाहारगा / / दारं 4 // 651 // सम्मद्दिट्ठी | भंते ! जीवा किं आहारगा अणाहारगा ? गोयमा ! सिय आहारगा, सिय अणाहारगा। बेइंदिया तेइंदिया चउरिंदिया छन्भंगा, सिद्धा अणाहारगा, अवसेसाणं तियभंगो, मिच्छादिट्ठीसु जीवेगिंदियवजो तियभंगो / सम्मामिच्छादिट्ठी णं भंते !0 किं आहारए अणाहारए ? गोयमा ! आहा. रए, णो अणाहारए, एवं एगिदियविगलिंदियवजं जाव वेमाणिए, एवं पुहुत्तेण वि // दारं 5 // 652 // संजए णं भंते ! जीवे किं आहारए अणाहारए ! गोयमा ! सिय आहारए, सिय अणाहारए, एवं मणूसे वि, पुहुत्तेणं तियभंगो। असंजए पुच्छा / सिय आहारए, सिय अणाहारए, पुहुत्तेणं जीवेगिंदियवजो तियभंगो / संजयासंजए णं जीवे पंचिंदियतिरिक्खजोणिए मणूसे य 3 एएं एगत्तेण वि पुहुतेण वि आहारगा णो अणाहारगा, णोसंजए णोअसंजए-गोसंजयासंजए जीवे सिद्धे य एए एगत्तेण वि पुहुत्तेण वि णो आहारगा अणाहारगा // दारं 6 // 653|| सकसाई णं भंते ! नीवे किं आहारए अणाहारए ? गोयमा! सिय आहारए, सिय अणाहारए, एवं जाव वेमाणिया, पुहृत्तणं जीवेगिंदियवजो तियभंगो, कोहकसाईसु जीवाईसु एवं चेव, णवरं देवेसु छन्भंगा, माणकसाईसु मायांकसाईसु य देवणेरइएसु छन्भंगा, अवसेसाणं जीवेगिंदियवजो तियभंगो, लोहकसाईसु णेरइएसु छन्भंगा, अवसेसेसु जीवेगिंदियवजो तियभंगो, अकसाई जहा णोसण्णीणोअसण्णी // दारं 7 // 654|| णाणी जहा सम्मद्दिट्ठी। आभिणिबोहियणाणी सुयणाणी य बेइंदियतेइंदियचरिंदिएसु छन्भंगा अवसेसेसु जीवाइओ तियभंगो जेसिं अस्थि / ओहिणाणी पंचिंदियतिरिक्खजोणिया आहारगा, णो अणाहारगा, अवसेसेसु जीवाइओ तियभंगो जेसि अस्थि ओहिणाणं, मणपजवणाणी जीवा मणूसा य एगत्तेण वि पुहुत्तेण वि आहारगा, णो अणाहारगा। केवलणाणी जहा णोसण्णीणोअसण्णी // दारं 8-1 // अण्णाणी मइअण्णाणी सुयअण्णाणी जीवेगिंदियवजो तियभंगो / विभंगणाणी पंचिंदियतिरिक्खजोणिया मणूसा य आहारगा, णो अणाहारगा, अवसेसेसु जीलाइओ तियभंगो // दारं 8-2 // 655 / / सजोगीसु जीवेगिदियवजो तियभंगो / मणजोगी

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