Book Title: Anangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 589
________________ 580 अनंगपविट्ठसुताणि खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति ! गोयमा! जहण्णेणं अंगलस्स असंखेजइभाग, उक्कोसेणं अहेसत्तमाए० हेडिल्ले चरमंते, तिरियं जाव असंखेजे दीवसमुद्दे, उन्हें जाव सयाई विमाणाई ओहिणा जाणंति पासंति / अणुत्तरोववाइयदेवा णं भंते ! केवइयं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति ! गोयमा ! संभिण्णं लोगणालिं ओहिणा जाणंति पासंति // 669 ॥णेरइया णं भंते ! ओही किंसंठिए पण्णत्ते ! गोयमा ! तप्पागारमंठिए पण्णत्ते / असुरकुमाराणं पुच्छा। गोयमा ! पल्लगसंठिए, एवं जाव थणियकुमाराणं / पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुण्छा / गोयमा ! णाणासंठाणसंठिए, एवं मणूसाण वि। वाणमंतराणं पुच्छा / गोयमा ! पडहगसंठाणसंठिए / जोइसियाणं पुच्छा / गोयमा ! झल्लरिसंठाणसंठिए पण्णत्ते / सोहम्मगदेवाणं पुच्छा / गोयमा! उद्दमयंगागारसंठिए पण्णत्ते, एवं जाव अच्चुयदेवाणं / गेवेजगदेवाणं पुच्छा। गोयमा ! पुप्फचंगेरिसंठिए पण्णत्ते / अणुत्तरोववाइयाणं पुच्छा / गोयमा ! जवणालियासंठिए ओही पण्णत्ते // 670 // जेरइया णं भंते ! ओहिम्स किं अंतो, बाहिं ! गोयमा ! अंतो, णो बाहिं, एवं जाव थणियकुमारा। पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा / गोयमा ! णो अंतो, बाहिं / मणूसाणं पुच्छा / गोयमा ! अंतो वि बाहिं पि / वाणमंतरजोइसियवेमाणियाणं जहा णेरइयाणं // 671 / / णेरइया णं भंते ! किं देसोही, सव्वोही ! गोयमा ! देसोही, णो सव्वोही, एवं जाव थणियकुमारा। पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा / गोयमा ! देसोही, णो सव्वोही / मणूसाणं पुच्छा / गोयमा ! देसोही वि सव्वोही वि / वाणमंतरजोइसियवेमाणियाणं जहा णेरइयाणं // 672 // गेरइयाणं भंते ! ओही किं आणुगामिए, अणाणुगामिए, वट्टमाणए, हीयमाणए, पडिवाई, अप्पडिवाई, अवट्ठिए, अणवहिए ! गोयमा ! आणुगामिए, णो अणाणुगामिए, णो वड्डमाणए, णो हीयमाणए, णो पडिवाई, अप्पडिवाई, अवहिए, णो अणवट्ठिए, एवं जाव थणियकुमाराणं / पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा / गोयमा ! आणुगामिए वि जाव अणवट्ठिए वि, एवं मणूसाण वि / वाण. मंतरजोइसियवेमाणियाणं जहा णेरइयाणं // 673 / / पण्णवणाए भगवईए तेत्तीसइमं ओहिपयं समत्तं /

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