Book Title: Anangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________ - पण्णवणासुतं प० 22 543 अपञ्चक्वाणकिरिया कजइ तस्स आरंभिया किरिया णियमा कजइ / एवं मिच्छादंसणवत्तियाए वि समं / एवं परिग्गहिया वि तिहिं उवरिल्लाहिं समं संचारेयव्या / जस्स मायावत्तिया किरिया कजइ तस्स उरिल्लाओ दो वि सिय कजंति, सिय णो कजंति, जस्स उवरिल्लाओ दोकजति तस्स मायावत्तिया० णियमा कजइ / जस्स अपच्चक्वाणकिरिया कजइ तस्स मिच्छादसणवत्तिया किरिया सिय कजइ, सिय णो कजइ, जस्स पुण मिच्छादसणवत्तिया किरिया० तस्स अपच्चक्खाणकिरिया णियमा कजइ / णेरइयस्स आइलियाओ चत्तारि परोप्परं णियमा कति, जस्स एयाओ चत्तारि कति तस्स मिच्छादंसणवत्तिया किरिया भइजइ, जस्स पुण मिच्छादंसणवत्तिया किरिया कजइ तस्स एयाओ चत्तारि णियमा कजंति, एवं जाव थणियकुमारस्स | पुढवीकाइयस्स नाव चउरिंदियस्स पंच वि परोप्परं णियमा कति / पंचिंदियतिरिक्खजोणियस्स आइल्लियाओ तिणि वि परोप्परं णियमा कति, जस्स एयाओ कजंति तस्स उवरिलिया दोणि भइजंति, जस्स उवरिल्लाओ दोणि कति तस्स एयाओ तिणि वि णियमा कति / जस्स अपच्चक्खाणकिरिया० तस्स मिच्छादसणवत्तिया० सिय कजइ, सिय णो कजइ, जस्स पुण मिच्छादंसणवत्तिया किरिया कजइ तस्स अपचक्खाणकिरिया णियमा कजह, मणूसस्स जहा जीवस्स, वाणमंतर-जोइसिय वेमाणियस्स जहा णेरइयस्स / जं समयण्णं भंते ! जीवस्स आरंभिया किरिया कजइ तं समयं परिग्गहिया किरिया कजइ ! एवं एए जस्स जं समयं जं देसं जं पएसेण य चत्तारि दंडगा णेयव्वा, जहा जेरहयाणं तह। सव्वदेवाणं णेयव्वं जाव वेमाणियाणं // 553 // अस्थि णं भंते ! जीवाणं पाणाइवायवेरमण व जइ ? हंता ! अस्थि / कम्हि णं भंते ! जीवाणं पाणाइवायवेरमणे कजइ ? गोयमा ! उसु जीवणिकाएसु / अस्थि णं भंते ! णेरइयाणं पाणाइ. वायवेरमणे कजइ ? गोयमा ! णो इणढे समढे। एवं जाव वेमाणियाणं, णवरं मणूसाणं जहा जीवाणं / एवं मुसावाएणं जाब मायामोसेणं जवस्स य मणूसस्स य, सेसाणं णो इणढे समढे / णवरं अदिण्णादाणे गहणधारणि जेसु दव्वेसु, मेहुणे रूवेसु वा रूवसहगएसु वा दव्वेसु, सेसाणं सव्वेसु दव्वेसु / अत्थि णं भंते ! जीवाणं मिच्छादसणसल्लवेरमणे कजइ ? हंता ! अस्थि / कम्हि णं भंते ! जीवाणं मिच्छादंसणसल्लवेरमणे कजइ ? गोयमा ! सव्वदव्वेसु, एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, णवरं एगिंदियविगलेंदियाणं णो इणढे समटे // 594 // पाणाइवायविरए णं भंते !

Page Navigation
1 ... 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608