Book Title: Anangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 574
________________ सत्तावीसइमं कम्मवेयवेयगपयं कह गं भंते ! कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ ! गोयमा ! अट्ट कम्मपगडीओ पण्णताओ / तंजहा-णाणावरणिजं जाव अंतराइयं, एवं णेरइयाणं नाव वेमाणियाणं / मीवे णं भंते ! णाणावरणिजं कम्मं वेएमाणे कइ कम्मपगडीओ वेएइ ? गोयमा ! सत्तविहवेयए वा अट्ठविहवेयए वा, एवं मणूसे वि / अवसेसा एगत्तेण वि पुहुत्तेण वि णियमा अढ कम्मपगडीओ वेदेति जाव वेमाणिया / जीवा गं भंते ! णाणावरणिजं. वेएमाणा कइ कम्मपगडीओ वेएंति ! गोयमा ! सव्वे वि ताव होजा अहविहवेयगा 1, अहवा अट्ठविहवेयगा य सत्तविहवेयए य 2, अहवा अट्टविहवेयगा ब सत्तविहवेयगा य 3, एवं मणूसा वि / दरिसणावरणिज अंतराइयं च एवं चेष भाणियव्वं / वेयगिजं आउयणामगोत्ताई वेएमाणे कइ कम्मपगडीओ वेएइ ! गोयमा ! जहा बंधवेयगस्स वेयणिजं तहा भाणियव्वाणि | नीवे णं भंते ! मोहणिक कम्मं वेएमाणे कइ कम्मपगडीओ वेएइ ? गोयमा ! णियमा अट्ट कम्मपगडीओ बेएइ, एवं णेरइए नाव वेमाणिए, एवं पुहुत्तेण वि // 640 // पण्णवणाए भगवईए सत्तावीसइमं कम्मवेयवेयगपयं समत्तं // अट्ठावीसइमं आहारपयं-पढमो उद्देसो सच्चित्ताहारट्ठी केवह किं वावि सन्वओ चेव / कहभागं सव्वे खलु परिणामे चेव बोद्धब्वे // 1 // एगिदियसरीराई लोमाहारो तहेव मणभक्खी / एएसिं तु पयाणं विभावणा होइ कायव्वा // 2 // गैरइया णं भंते! किं सचित्ताहारा, अचित्ताहारा, मीसाहारा ! गोयमा! णो सचित्ताहारा, अचित्ताहारा, णो मीसाहारा, एवं असुरकुमारा जाव वेमाणिया / ओरालियसरीरा जाव मणूसा सचित्ताहारा वि अचित्ताहारा वि मीसाहारा वि / णेरइया णं भंते ! आहारट्ठी! हंता! आहारट्ठी। णेरइया णं भंते ! केवहकालस्स आहारट्टे समुप्पजइ ? गोयमा ! णेरइयाणं दुविहे आहारे पण्णत्ते / तंजहा-आभोगणिव्वत्तिए य अणाभोगणिव्वत्तिए य / तत्थ णं जे से अणाभोगणिव्वत्तिए से णं अणुसमयविरहिए आहारट्टे समुप्पजइ / तत्थ णं जे से आभोगणिव्वत्तिए से णं असंखिजसमइए अंतोमुहुत्तिए आहारट्टे समुप्पजइ // 641 // गेरइया णं भंते ! किमाहारमाहारेति ? गोयमा! दव्वओ अणंतपएसियाई, खेत्तओ

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