Book Title: Anangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 455
________________ 446 . अनंगपविट्ठसुत्ताणि संखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स चरमंतपएसा, अचरमंतपएसा संखेजगुणा, चरमंतपएसा य अचरमंतपएसा य दोऽवि विसेसाहिया, दवट्ठपएसट्टयाए सव्वत्थोवे परिमण्डलस्स संठाणस्स संखेजपएसियस्स संखेजपएसोंगाढस्स दबयाए एगे अचरमे, चरमाइं संखेजगुणाई, अचरमं च चरमाणि य दोऽवि विसेसाहियाई, चरमंतपएमा संखेजगुणा, अचरमंतपएसा संखेजगुणां, चरमंतपएसा य अचरमंतपएसा य दोऽवि विसेसाहिया / एवं वट्टतंसचउरंसायएसु वि जोएयव्वं // 368 // परिमण्डलस्स णं भंते ! संठाणस्स असंखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स अचरमस्स चरमाण य चरमंतपएसाण य अचरमंतपएसाण य दव्वट्ठयाए पएसट्टयाए दव्वट्ठपएसहयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 ? गोयमा! सव्वत्थोवे परिमंडलस्स संठाणस्स असंखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स दवट्ठयाए एगे अचरमे चरमाई संखेजगुणाई, अचरमं च चरमाणि य दोऽवि विसेसाहियाइं, पएसट्टयाए सव्वत्थोवा परिमंडलसंठाणस्स असंखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स चरमंतपएसा, अचरमंतपएसा संखेजगुणा, चरमंतपएसा य अचरमंतपएसा य दोऽवि विसेसाहिया, दव्वट्ठपएसट्टयाए-सव्वत्थोवे परिमंडलस्स संठाणस्स असंखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स दव्वट्ठयाए एगे अचरमे, चरमाइं संखेजगुणाई, अचरमं च चरमाणि य दोऽवि विसेसाहियाई, चरमंतपएसा संखेजगुणा, अचरमंतपएसा संखेजगुणा, चरमंतपएसा य अचरमंतपएसा य दोऽवि विसेसाहिया। एवं जाव आयए / परिमंडलस्स णं भंते ! संठाणस्स असंखेजपएसियस्स असखेजपएसोगाढस्स अचरमस्स य चरमाण य चरमंतरएसाण य अचरमंतपएसाण य दव्वट्टयाए पएसट्टयाए दव्वढपएसट्टयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा 4 ? गोयमा! जहा रयणप्पभाए अप्पाबहुयं तहेव गिरवसेसं भाणियव्वं, एवं जाव आयए // 369 // परिमंडलस्स णं भंते ! संठाणस्स अणंतपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स अचरमस्स य चरमाण य चरमंतपएसाण य अचरमंतपएसाण य दव्वयाए पएसट्टयाए दव्वट्ठः पएसट्टयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा 4 1 गोयमा ! जहा संखेजपएसियस्स संखेजपएसोगाढस्स, णवरं संकमेणं अणंतगुणा, एवं जाव आयए / परिमंडलस्स णं भंते ! संठाणस्स अणंतपएसियस्स असंखेजपएसोगाढस्स अचरमस्स य 4 जहा रयणप्पभाए, णवरं संकमे अणंतगुणा, एवं जाव आयए // 370|| जीवे णं भंते ! गइचरमेणं किं चरमे अचरमे 1 गोयमा ! सिय चरमे, सिय अचरमे / णेरइए

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