Book Title: Anangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 539
________________ 530 अनंगपविट्ठसुत्ताणि सरीरे। जइ देवपंचिंदियवे उब्वियसरीरे कि भवणवासिदेवपंचिंदियवेडब्वियसरीरे जाव वेमाणियदेवपंचिंदियवेउव्वियसरीरे ! गोयमा ! भवणवासिदेवपंचिदियवेउ-, . ध्वियसरीरे वि जाव वेमाणियदेवपंचिदियवेउब्वियसरीरे वि / जइ भवणवासिदेवपंचिंदियवे उध्वियसरीरे किं असुरकुमारभवणवासिदेवपंचिदियवेउध्वियसरीरे जाव थणियकुमारभवणवासिदेवपंचिंदियवेउब्वियसरीरे ? गोयमा ! असुरकुमार० जाव थणियकुमारभवणवासिदेवपंचिंदियवे उब्वियसरीरे वि / जइ असुरकुमारभवणवासि. देवपंचिंदियवे उब्वियसरीरे कि पजत्तगअसुरकुमारभवणवासिदेवपंचिंदियवेउब्वियसरीरे, अपज तगअसुरकुमारभवणवासिदेवपंचिंदियवेउब्वियसरीरे ! गोयमा ! पजत्तगअसुरकुमारभवणवासिदेवपंचिंदियवेउब्वियसरीरे वि, अपजत्तगअसुरकुमारभवणवासिदेवपांचं दियवेउब्वियसरीरे वि, एवं जाव थणियकुमाराणं दुगओ भेओ। एवं वाणमंतराणं अट्ठविहाणं, जोहसियाणं पंचविहाणं / वेमाणियां दुविहा-कप्पोवगा कप्पातीता य / कम्योवगा बारसविहा, तेसि पि एवं चेव दुइओ भेओ / कप्पातीता दुविहा-गेवेजगा य अणुत्तरोववाइया य, गेवेजगा णवविहा, अणुत्तरोववाइया पंचविहा, एएसिं पजत्तापजत्ताभिलावेणं दुगओ भेओ भाणियव्वो॥५७२॥ वेउव्वियसरीरे णं भंते ! किंसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा! णाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते / बाउक्काइयएगिंदियवेउब्वियसरीरे णं भंते ! किंसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! पडागासंठाणसंठिए पण्णत्ते / णेरइयपंचिंदियवेउब्वियसरीरेणं भंते! किंसंठाणसंठिए पण्णत्ते ! गोयमा! णेरइयपचिंदियवेउव्वियसरीरे दुविहे पण्णत्ते / तंजहा-भवधारणिजे य उत्तरखेउविए य / तत्थ णं जे से भवधारणिजे से णं हंडसंठाणसंठिए पण्णत्ते / तत्थ णं जे से उत्तरवेउव्विए से वि हुंडसंठाणसंठिए पण्णत्ते / रयणप्पभापुढविणेरइयपंचिंदियवेउब्वियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा! रयणप्पभापुढविणेरइयाणं दुविहे सरीरे पण्णत्ते / तंजहा-भवधारणिजे य उत्तरखेउब्धिए य / तत्थ णं जे से भवधारणिजे से णं हुंडे, जे से उत्तरवेउन्विए से वि हुंडे / एवं जाव अहेसत्तमापुढविणेरइयवेउध्वियसरीरे / तिरिक्खजोणियपचिंदियवेउब्वियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! गाणासंठाणसंठिए पण्णत्ते / एवं जाव जलयर. थलयरखहयराण वि / थलयराण वि चउप्पयपरिसप्पाण वि, परिसप्पाण वि उर. परिसप्पभुयपरिसप्पाण वि / एवं मणुस्सपंचिंदियवेउव्वियसरीरे वि / असुरकुमारभवणवासिदेवपंचिंदियवेउव्वियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! असुरकुमाराणं देवाणं दुविहे सरीरे पण्णत्ते / तंजहा-भवधारणिजे य उत्तरवेउविए

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