Book Title: Anangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 499
________________ 460 अनंगपविट्ठसुत्ताणि गो सव्वे समवण्णा' / एवं जहेव वण्णेण भणिया तहेव लेसासु विसुद्धलेसतरागा अविसुद्धलेसतरागा य भाणियव्वा // 477|| णेरइया णं भंते ! सव्वे समवेयणा ? गोयमा ! णो इणढे समढे / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ–णेरइया णो सव्वे समवेयणा' ? गोयमा ! णेरइया दुविहा पण्णत्ता / तंजहा-सण्णिभूया य असण्णिभूया य / तत्थ णं जे ते सण्णिभूया ते णं महावेयणतरागा, तत्थ णं जे ते असण्णिभूया ते णं अप्पवेयणतरागा, से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-'णेरइया णो सव्वे समवेयणा' // 478 / / णेरइया णं भंते ! सव्वे समकिरिया ? गोयमा ! णो इणढे समझे। से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-'णेरइया णो सव्वे समकिरिया' 1 गोयमा ! णेरइया तिविहा पण्णत्ता / तंजहा–सम्मट्ठिी, मिच्छट्ठिी, सम्मामिच्छद्दिट्ठी। तत्थ णं जे ते सम्मद्दिट्ठी तेसि णं चत्तारि किरियाओ कजंति, तंजहा-आरंभिया, परिग्गहिया, मायावत्तिया, अपच्चक्खाणकिरिया। तत्थ णं जे ते मिच्छद्दिट्ठी जे सम्मामिच्छद्दिट्टी तेसिणं णियइयाओ पंच किरियाओ कजंति, तंजहा-आरंभिया, परिग्गहिया, मायावत्तिया, अपच्चक्खाणकिरिया, मिच्छादसणवत्तिया, से तेणटेणं गोयमा!एवं वुच्चइ'णेरइया णो सव्वे समकिरिया // 479 // णेरइया णं भंते ! सव्वे समाउया, सव्वे समोववण्णगा ? गोयमा ! णो इणढे समढे / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ० ? गोयमा! गेरइया चउन्विहा पण्णत्ता। तंजहा-अत्थेगइया समाउया समोववण्णगा, अत्थेगइया समाउया विसमोववण्णगा, अत्येगइया विसमाउया समोववण्णगा, अत्ये. गइया विसमाउया विसमोववण्णगा, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-'णेरइया णो सव्वे समाउया, णो सव्वे समोववण्णगा' // 480 // असुरकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा ? एवं सव्वे वि पुच्छा / गोयमा ! णो इणढे समढे / से केपट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ० 1 जहा णेरइया / असुरकुमारा णं भंते ! सव्वे समकम्मा ? गोयमा ! णो इणढे समढे / से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ० 1 गोयमा ! असुरकुमारा दुविहा पण्णत्ता / तंजहा–पुब्वोववण्णगा य पच्छोववण्णगा य / तत्थ णं जे ते पुव्वोववण्णगा ते णं महाकम्मतरा, तत्थ णं जे ते पच्छोववण्णगा ते णं अप्पकम्मतरा, से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-'असुरकुमारा णो सव्वे समकम्मा'। एवं वण्णलेस्साए पुच्छा। तत्थ णं जे ते पुव्वोववण्णगा ते णं अविसुद्धवण्णतरागा, तत्थ णं जे ते पच्छोववण्णगा ते णं विसुद्धवण्णतरागा, से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-'असुरकुमारा णं सव्वे णो समवण्णा' / एवं लेस्साए वि, वेयणाए जहा णेरइया, अवसेसं जहा

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