Book Title: Anangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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________________ 512 अनंगपविट्ठसुत्ताणि असंखेज कालं जाव खेत्तओ अंगुलस्स असंखेजइभागं / पत्तेयसरीरबायरवणाफकाइए णं भंते ! पुच्छा / गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सत्तरि सागरोवमकोडाकोडीओ / णिगोए णं भंते ! णिगोएत्तिकालओ केच्चिरं होइ ? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अणंत कालं, अणंताओ उस्सप्पिणिओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ अड्डाइजा पोग्गलपरियट्टा / बादरणिगोदे गं भंते! बादरणिगोदेत्ति पुच्छा। गोयमा ! जहणणं अंतोमुहत्त, उक्कोसेणं सत्तरि सागरोवमकोडाकोडीओ। बायरतसकाइए णं भंते ! बायरतसकाइएत्ति कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साई संखेनवासमन्भहियाई / एएसिं चेव अपजत्तगा सव्वे वि,जहण्णेण वि उक्कोसेण चि अंतोमुहुत्तं / बायरपजत्तए णं भंते ! बायरपजत्तएत्ति पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सागरोवमसयपुहुत्तं साइरेगं / बायरपुढविकाइयपजत्तए भंते ! बायर० पुच्छा / गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं संखेजाइं वाससहस्साई / एवं आउकाइए वि / तेउकाइयपजत्तए णं भंते ! तेउकाइयपजत्तएत्ति पुच्छा। गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुतं, उक्कोसेणं संखेजाइं राइंदियाई / वाउकाइयवणस्सइकाइयपत्तेयसरीखायरखणप्फइकाइए पुच्छा / गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुत्ते, उक्को. सेणं संखेजाइं वाससहस्साई / णिओयपजत्तए बायरणिओयपजत्तए पुच्छा / गोयमा ! दोण्ह वि जहण्णेणं अंतोमुहत्त, उक्कोसेणं अंतोमुहत्तं / बायरतसकाइयपज्जत्तए " भंते ! बायरतसकाइयपजत्तएत्ति कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं सागरोवमसयपुहत्तं साइरेगं / दारं 4 // 536 // सजोगी णं भंते ! सजोगित्ति कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! सजोगी दुविहे पण्णत्ते / तंजहा-अणादए वा अपजवसिए, अणाइए वा सपजवसिए / मणजोगी णं भंते ! मणजोगित्ति कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं एवं समय, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं / एवं वइजोगी वि / कायजोगी गं भंते! कायजोगि० 1 गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं वणप्फहकालो। अजोगीण भंते ! अजोगित्ति कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा! साइए अपनवसिए / दारं 5 // 537 / / सवेदए . भंते ! सवेदएत्ति कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा! सवेदए तिविहे पण्णत्ते / तंजहा-अणाइए वा अपजवसिए, अणाइए वा सपजवसिए, साइए वा सपनवसिए। तत्थ णं जे से साइए सपजवसिए से जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अणतं कालं,

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