Book Title: Anangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 535
________________ 526 अनंगपविट्ठसुत्ताणि वि 3 / समुच्छिमतिरिक्खजोणियपंचिंदियओरालियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिए पण्णत्ते ! गोयमा ! हंडसंठाणसंठिए पण्णत्ते, एवं पजत्तापजत्ताण वि / गम्भवकंतियतिरिक्खजोणियपंचिदियओरालियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा ! छव्विहसंठाणसंठिए पण्णत्ते / तंजहा-समचउरंस० जाव हुंडसंटाणसंटिए / एवं पजत्तापजत्ताण वि 3 / एवमेए तिरिक्खजोणियाणं ओहियाणं गव आलावगा। जलयरतिरिक्खजोणियपंचिंदियओरालियसरीरे णं भंते ! किंसंठाणसंठिए पत्ते ? गोयमा ! छव्विहसंठाणसंठिए पण्णत्ते / तंजहा-समचउरंसे जाव हुंडे, एवं पजत्ता. पजत्ताण वि / समुच्छिमजलयरा हुंडसंठाणमंठिया, एएसिं चेव पजत्ता अपबत्तगा वि एवं चेव / गम्भवक्कंतियजलयरा छविहसंठाणसंठिया, एवं पजत्तापजत्ताण वि। एवं थलयराण वि णव सुत्ताणि, एवं चउप्ययथलवराण वि उरपरिसप्पथलयराण वि भुयपरिसप्पथलपराण वि / एवं खहयराण वि णव सुत्ताणि, णवर सव्वत्थ समुच्छिमा हुंडसंठाणसंठिया भाणियव्वा, इयरे छसु वि / मणूसपंचिंदियओरालियसरीरेणं भंते ! किंसंठाणसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा! छव्विहसंठाणसंठिए पण्णत्ते / तंजहा-समचउरंसे जाव हुंडे, पजत्तापजत्ताण वि एवं चेव, गब्भवकंतियाणं वि एवं चेव, पजत्तापजत्ताण वि एवं चेव / समुच्छिमाणं पुच्छा। गोयमा ! हुंडसंठाणसंठिया पणत्ता // 570 // ओरालियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता 1 गोयमा ! जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेजइभागं, उक्कोसेणं साइरेगं जोयणसहस्सं / एगिदियओरालियस्स वि एवं चेव जहा ओहियस्स / पुढविकाइयएगिंदियओरालियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंगुलस्स असंखेजइभागं, एवं अपजत्तयाण वि पजत्तयाण वि / एवं सुहुमाणं पजत्तापज्जत्ताणं, बायराणं पजत्तापजत्ताण वि / एवं एसो णवओ भेओ जहा पुढविक्काइयाणं तहा आउक्काइयाण वि तेउक्काइयाण वि वाउकाइयाण वि / वणस्सइकाइयओगलियसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ? गोयमा! जहणेणं अंगुलस्स असंखेजइभाग, उक्कोसेणं साइरेगं जोयणसहस्सं / अपजत्तगाणं जहणणेण वि उक्कोसेण वि अंगुलस्स असंखेजइभाग, पजत्तगाणं जहण्णेणं अंगुलस्स असखेल इभाग, उक्को.. सेणं साइरेगं जोयणसहस्सं / बायराणं जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेजहभाग, उक्कोसेणं साइरेगं जोयणसहस्सं, पजत्ताण वि एवं चेव। अपजत्ताणं जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंगुलस्स असंखेजइभागं / सुहमाणं पजत्तापजत्ताण य तिण्ड वि जहण्णेण वि उक्को

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