Book Title: Anangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Author(s): Ratanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 486
________________ .पण्णवणासुत्तं प० 15 उ. 2 477 एवं जाव पंचिंदिवतिरिक्खजोणियत्ते / मणूसत्ते अतीता अणंता, बद्धेल्लगा णस्थि, पुरेक्खडा अट्ट वा सोलस वा चउवीसा वा संखेजा वा। वाणमंतरजोइसियत्ते जहा गैरइयत्ते / सोहम्मगदेवत्तेऽतीता अणंता, बद्धेल्लगा पत्थि, पुरेक्खडा कस्सइ अस्थि कस्सइ गस्थि, जस्स अस्थि अह वा सोस वा चउचीसा वा संखेजा वा / एवं जाव गेवेजगदेवत्ते। विजयवेजयंतजयंतअपराजियदेवेत्ते अतीता कस्सह अस्थि कस्सइ णस्थि, जस्स अत्थि अह, केवइया बद्धलगा ? गोयमा! अट्ठ, केवइया पुरेक्खडा 1 गो० ! कस्सइ अस्थि कस्सइ णत्थि, जस्स अस्थि अह। एगमेगस्स ण भंते ! विजयवेजयंतजयंतअपराजियदेवस्स सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते केवड्या दविंदिया अतीता ? गोयमा ! णस्थि, केवइया बद्धलगा? गो० ! णस्थि, केवइया पुरेक्खडा ? गो० ! कस्सइ अस्थि कस्सई णस्थि, जस्स अस्थि अट्ठ। एगमेगस्स णं भंते ! सव्वट्ठसिद्धगदेवस्स णेरइयत्ते केवइयां दविदिया अतीता ? गोयमा! अणंता, केवइया बद्धलगा 10 गो०! पत्थि, केवइया पुरेक्खडा 1 गो०! गस्थि / एव मणूसवजं जाव गेवेजगदेवत्ते, गवरं मणूसत्ते अतीता अणंता, केवइया बद्धलगा ? गो० ! गत्थि, केवइया पुरेक्खडा 10 गो० अट्ठ। विजयवेजयंतजयंतअपराजियदेवत्ते अतीता कस्सइ अस्थि कस्सइ णत्थि, जस्स अस्थि अट्ट, केवइया बद्धलगा ? गो० ! णथि, केवईया पुरेक्खडा 1 गो० ! णस्थि। एगमेगस्स णं भंते ! सचट्ठसिद्धगदेवस्स सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते केवड्या दविदिया अतीता ? गोयमा! णत्थि, केवइया बद्धलगा ? गो० ! अट्ठ, केवइया पुरेक्खडा 1 गो० ! णत्थि // 456 // रहयाणं भंते ! जेरइयत्ते केवइया दविदिया अतीता ? गोयमा ! अणंता, केवइया बद्धलगा ? गो० ! असंखेजा, केवइया पुरेक्खडा 1 गो० ! अणंता / णेरइयाणं भंते ! असुरकुमारत्ते केवइया दबिंदिया अतीता ? गोयमा ! अणंता, केवड्या बद्धलगा ? गो० ! णत्थि, केवइया पुरेक्खडा 1 गो० ! अणंता, एवं जाव गेवेजगदेवत्ते / णेरइयाणं भंते ! विजयवेजयंतजयंतअपराजियदेवत्ते केवइया दविंदिया अतीता 10 णत्थि, केवइया बद्धलगा 10 णस्थि, केवइया पुरेक्खडा 10 असंखेजा, एवं सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते वि, एवं जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणिया सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते भाणियच्वं, णवरं वणस्सइकाइयाणं विजयवेजयंतजयंतअपराजियदेवत्ते सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ते य पुरेक्खडा अणंता, सव्वेसिं मणूससव्वट्ठसिद्धगवजाणं सट्टाणे बद्धलगा असंखेजा, परवाणे बद्धलगा णस्थि / वणस्सइकाइयाणं बद्धलगा अणंता / मणूसाणं णेरइयत्ते

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