Book Title: Anandghanji tatha Chidanandji Virachit Bahotterio
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 61
________________ आनंदघनजी कृत पद. फोकट खाशे गाल ॥यानंदघन प्रनु रंगें रमतां, गोरे गाल बूके काल । वारो॥३॥इति पदं ॥ ॥पद बाए॥राग कानडो॥ ॥ दरिसन प्रानजीवन मोहे दीजें ॥ बिन दरिसन मोहि कल न परतु है, तलफ तलफ तन बीजे ॥दरि. ॥ १ ॥ कहा कहुँ कळू कहत न यावत, बिन सेजा क्युं जीजें ॥ सोढुं खाइ सखी कादु मनावो,यापही आप पतीजें ॥ दरि० ॥ २ ॥ देनर देरानी सासु जे गनी, मुंही सब मिल खीजें ॥ आनंदघन बिन प्रान न रहे बिन, कोडी जतन जो कीजें ॥ दरि० ॥३॥. ॥ पद त्राणुमं ॥ रांग शोरत ॥ मुने महारा माधवीयाने मलवानो कोड ॥ ए देशी ॥ ॥ मुने महारा नाहलीयाने मलवानो कोड ॥ हुँ राखं माडी कोइ मुने बीजो वलगो जोड ॥ मुने ॥ ॥१॥ मोहनीया नाहलीया पांखे महारे, जग स वि जड जोड ॥ मीठा बोला मन गमला नाहजी विण, तन मन थाये चोड ॥ मुने ॥ ॥ कां ढोलीयो खाट पडी तलाई, नावे न रेसम सोड ॥ अवर सवे महारे जलारे जलेरा, महारे आनंदघन शिरमोड ॥ मुने ॥ ३ ॥ इति पद ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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