Book Title: Anandghanji tatha Chidanandji Virachit Bahotterio
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 70
________________ चिदानंदजी कृत पद. ॥ पद बीजुं ॥ राग मारु ॥ || पिया निज महेल पधारो रे, करी करुणा महा राज ॥ ए यांकणी ॥ तुम बिन सुंदर साहेबा रे, मो मन यति दुःख थाय ॥ मनकी व्यथा मनहीं मन जानत, केम मुखथी कहेवाय ॥ पिया० ॥ १ ॥ बाल जाव अब वीसरी रे, ग्रह्यो उचित मरजाद ॥ यात म सुख अनुभव करो प्यारे, नांगे सादि नाद ॥ पिया ॥ २ ॥ सेवककी लता सूधी रे, दाखी साहेब हाथ || तोसी करो विमासला प्यारे, अम घर याव त नाथ || पिया || ३ || मम चित्त चातक घन तुमे रे, इस्यो जाव विचार || याचक दानी उजय मल्या प्यारे, शोने न ढील लगार ॥ पिया० ॥ ४ ॥ चिदानंद प्रभु चित्त गमी रे, सुमताकी अरदास ॥ निजघर घरणी जाके प्यारे, सफल करी मन यास ॥ पिया० ॥ ५॥ ॥ पद त्रीजुं ॥ राग मारुं ॥ ५७ ।। सुपा याप विचारो रे, पर पख नेह निवार ॥ सु० ॥ ए यांकणी ॥ पर परणीत पुजन दिसा रे, तामें निज निमान ॥ धारत जीव एही कह्यो प्यारे, बंधहेतु भगवान || सु० ॥ १ ॥ कनक उपलमें नित्य रहे रे, दूध मांहे फुनी घीव ॥ तिलसंग तेल सुवास For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jainelibrary.org

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