Book Title: Anandghanji tatha Chidanandji Virachit Bahotterio
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 89
________________ ७६ चिदानंदजी कृत पद. ध्यावत; निश्चय पख नरधारी ॥ मीमांसक तो कर्म बदे ते, उदय नाव अनुसारी ॥ मा० ॥ २ ॥ कहत बौछ ते बुआ देव मम,क्षणिक रूप दरसावे ॥ नैया यिक नयवाद ग्रही ते, करता कोन ठेरावे ॥ मा० ॥३॥ चारवाक निज मनःकल्पना, शून्य वाद कोन ठाणे ॥तिनमें नये अनेक नेद ते.अपणीअपणी ताणे ॥ मा० ॥ ४ ॥ नय सरवंग साधना जामें, ते सरवंग कहावे ॥ चिदानंद ऐसा जिन मारग, खोजी होय सो पावे ।। मा० ॥ ५ ॥ ॥ पद चोत्रीशमुं॥ राग आशावरी ॥ ___॥ अवधू खोलि नयन अब जोवो ॥ गि मुश्ति कहा सोवो ॥ अवधू ॥ ए आंकणी ॥ मोह निंद सोवत तूं खोया, सरवस माल अपाणा ॥ पांच चोर अजहुँ तोय लूंटत, तास मरम नहिं जाण्या ॥ अवधू ॥ १ ॥ मली चार चंमाल चोकडी, मंत्री नाम धराया ॥ पाई केफ पीयाला तोहे,सकल मुलक ग खाया ॥ अवधूळ ॥ २ ॥ शत्रुराय महाबल जोमा, निज निज सेन सजाये ॥ गुणगणेमें बांध मोरचे, घेखा तुम पुर आये ॥ अवधू॥ परमादी तूं होय पियारे, परवशता दुःख पावे ॥ गया राज पुर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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