Book Title: Anandghanji tatha Chidanandji Virachit Bahotterio
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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१४
चिदानंदजी कृत पद.
चिदानंद यानंद लह्यो इम तोर करमकी पासी ॥ जा० ॥ ४ ॥ इति पदं ॥
॥ पद त्रीशमं ॥ राग आशावरी ॥
॥ अनुभव यानंद प्यारो ॥ यब मोहे, अनुन व० ॥ ए आंकणी ॥ एवं विचार धार तूं जडथी, कन क उपल जिम न्यारो ॥ ० ॥ १ ॥ बंधहेतु रागा दिक परिणती, लख परपख सहु न्यारो ॥ चिदा नंद प्रभु कर किरपा अब, जव सायरथी तारो ॥ ॥ अ० ॥ २ ॥ इति पदं ॥
॥ पद एकत्रीशमुं ॥ राग आशावरी ॥
॥ ॐ घट विरासत वार न लागे ॥ घ०॥ ए यां कणी ॥ याके संग कहा अब मूरख, बिन बिन अ धिको पागे ॥ जं० ॥ १ ॥काचा घडा काचकी शीशी, लागत का जांगे ॥ सडा पडा विध्वंस धरम जस, तसयी निपुण नीरागे ॥ ३० ॥ २॥ श्रधि व्या धि व्यथा दुःख इा जव, नरकादिक फुनिं यागें ॥ मगदु न चलत संगविणा पोष्या, मारगडुमें त्यागे ॥ जं० ॥ || ३ || मदलक बाक गहेल तज विरला, गुरु किरपा कोन जागे ॥ तन धन नेह निवारि चिदानंद, चली यें ताके सागे ॥ जं० ॥ ४ ॥ इति पदं ॥
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