Book Title: Anandghanji tatha Chidanandji Virachit Bahotterio
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 103
________________ ए. चिदानंदजी कृत पद. ॥ १॥ गांफिल लिन नर नांही रहो तुम, शिरपर घूमे तेरे काल अरी॥ स॥ २ ॥ चिदानंद ए बात हमारी प्यारे, जाणो मित्त मनमांहे खरी॥स॥३॥ .... ॥ पद अजवनमुं॥ राग केरबो॥ ॥ हारे चित्तमें धरो प्यारे चित्तमें धरो, एती शीख हमारी, प्यारे अब चित्तमें धरो ॥ ए आंक णी॥ थोडासा जीवनके काज अरे नर, काहेकू बल परपंच करो ॥ एती॥१॥ हारे कूड कपट परोह करत तुम, अरे नर परजवयीन मरो॥ एती० ॥२॥ चिदानंद जो ए नही मानो तो, जनम मरण नव मुःखमें परो ॥ एती० ॥ ३ ॥ इति पदं ॥ ..॥ पद ओगणशाउमुं ॥ राग मलार ।। ॥ ध्यानघटा घन गए, सु देखो माई ॥ ध्यान ॥ ए यांकणी॥ दम दामिनी दमकति ददु दिस अत्ति, अनहद गरज सुनाए ॥ सु० ॥१॥ मोटी मोटी बुद खिरत वसुधा शुची,प्रेम परम जर लाए. ।। सु॥ ॥॥ चिदानंद चातक अति तलपत, गुदगुदाजल पाए ॥ सु० ॥ ३ ॥ इति पदं ॥ पद शापमुं॥ राग मल्हार॥ • ॥ मत जावो जोर बिजोर, वालम थब ॥ मत॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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