Book Title: Amarmuni Upadhyaya Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 4
________________ प्रकाशक सन्मति ज्ञानपीठ के संस्थापक श्रद्धेय उपाध्याय अमरचन्द्र जी महाराज के नाम से समाज में आज कौन व्यक्ति ऐसा है, जो भलीभांति परिचित न हो! अावाल-वृद्ध उन्हें सब जानते हैं, और पहचानते हैं । उनका जानना इतना आश्चर्य-जनक नहीं, जितना उनको न जानना पाश्चर्य-जनक है। प्रस्तुत पुस्तक न उनका जीवन चरित्र है और न जीवनी, यह तो उनके विशाल व्यक्तित्व का और विराट कृतित्व का परिचय मात्र है। पुस्तक का नाम है-"उपाध्याय अमर मुनि : व्यक्तित्व और कृतित्व ।" यह कृति श्री विजय मुनि जी की है। इसके अतिरिक्त मुनि जी ने उपध्याय जी महाराज के जीवन के सम्बन्ध में दो पुस्तकें और लिखी हैं—एक है, "उपाध्याय अमर मुनि : एक अध्ययन" दूसरी है, "उपाध्याय अमर मुनि : विहार यात्रा के मधुर संस्मरण।" "व्यक्तित्व और कृतित्व" की भाषा प्राञ्जल और प्रवाहशील है। शैली सरस और सुन्दर है। उपाध्याय श्री जी के व्यक्तित्व का विश्लेपण बहुत ही सुन्दर वन पड़ा है और उनके कृतित्व का परिचय संक्षेप में होकर भी सर्वागीण है। इस प्रकार की पुस्तक की माँग बहुत दिनों से समाज में चल रही थी। हमारी भावना का आदर करते हुए श्री विजय मुनि जी ने इस कार्य को वहुत सुन्दर रीति से किया है। प्रस्तुत पुस्तक के प्रकाशन में सहयोग के रूप में एक सज्जन ने गुप्त दान में २०१ रु० का दान दिया है। इस आर्थिक सहयोग के लिए हम उनका धन्यवाद करते हैं । नाम विना का यह दान एक आदर्श हैं। सन् १९६२ का यह प्रथम प्रकाशन पाठकों के हाथों में समर्पित करते हुए हमें महान् हर्प होता है। सोनाराम जैन मन्त्री सन्मति ज्ञानपीठ

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