Book Title: Alok Pragna ka
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 38
________________ आलोक प्रज्ञा का २३ शिष्य आचार्य के पास आया और बोला----गुरुदेव ! महान् बनने का उपाय क्या है ? ____ आचार्य ने कहा-वत्स ! यदि तुम महान् बनने की इच्छा करते हो तो विवाद और आग्रह से दूर रहो, क्योंकि व्यक्ति आग्रह और विवाद के कारण लघुता-तुच्छता को प्राप्त होता है। अभय कौन ? ६६. मूढो नित्यं भयग्रस्तो, मूखो भाति भयद्रुतः । मनसा दुर्बलो भोतो, भयभीतमिदं जगत् ॥ इस संसार में तीन प्रकार के व्यक्ति होते हैं-मूढ, मूर्ख और मन से दुर्बल । मूढ व्यक्ति नित्य भय से ग्रस्त रहता है, मूर्ख व्यक्ति डरपोक-कायर होता है और मन से दुर्बल व्यक्ति सदा डरता रहता है। इन तीनों के लिए यह सारा जगत् भय से आक्रान्त बना रहता है। ७०. जडो भयास्पदं सम्यग्, न गृह्णाति न चाभयः । स एवास्त्यभयो लोके, यो न मूढो न वा जडः ॥ जड़ व्यक्ति भय के कारण को ठीक प्रकार से पकड़ नहीं पाता, इसलिए वह अभय नहीं होता। इस संसार में वही अभय है, जो न मूढ है और न जड़। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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